अब डेंगू की बीमारी से लड़ना आसान हो जाएगा। दिल्ली समेत देश के कई शहरों में हर साल बड़ी तादाद में लोग इस बुखार से जूझते हैं। आईसीएमआर और पैनेसिया बायोटेक ने भारत में डेंगू का टीका विकसित करने के लिए पहली बार तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी है। पैनेसिया बायोटेक ने भारत के स्वदेशी टेट्रावैलेंट डेंगू टीके ‘डेंगीऑल’ को बनाया है।

इसका पहला टीका पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज रोहतक में एक शख्स को लगाकर टेस्ट किया गया है। यही टेस्ट 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 19 जगहों पर किया जाएगा। टेस्ट के लिए 10335 स्वस्थ नौजवानों को शामिल किया गया है।

जेपी नड्डा ने क्या कहा?

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, ‘‘भारत के पहले स्वदेशी डेंगू टीके के लिए चरण के ​​परीक्षण की शुरुआत डेंगू के खिलाफ हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। यह नागरिकों को इस बीमारी से बचाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और टीका अनुसंधान और विकास में भारत की क्षमताओं को रेखांकित करता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आईसीएमआर और पैनेसिया बायोटेक के बीच इस सहयोग के माध्यम से, हम न केवल अपने लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम उठा रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के अपने दृष्टिकोण को भी सुदृढ कर रहे हैं।’’

क्यों जरूरी है डेंगू से लड़ने के लिए वैक्सीन?

डेंगू मच्छरों से होने वाला एक वायरल संक्रमण है, जो तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में डेंगू के मामले 2000 में 5,05,430 से बढ़कर 2019 में 5.2 मिलियन हो गए हैं। भारत में यह बीमारी 2001 में सिर्फ़ आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 2022 तक सभी राज्यों में फैल गई है। यहां तक की लद्दाख तक में ऐसे मामले सामने आए हैं। एक और चुनौती यह है कि डेंगू से जुड़े 75-80 प्रतिशत मामलों में लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं।