श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में मुठभेड़ के दौरान कथित तौर पर चार आतंकियों को मार गिराया गया था। हालांकि महबूबा मुफ्ती ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस एनकाउंटर में तीन नागरिक मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि यह कैसा एनकाउंटर है जिसमें एक आतंकी मारा जाए और तीन आम लोगों की हत्या कर दी जाए। उन्होंने इसके खिलाफ न्यायिक जांच की मांग की है।

वहीं इस एनकाउंटर में मारे गए अमीर मांगरे के पिता अब्दुल लतीफ का कहना है कि उनका बेटा बेगुनाह था। वह आतंकी नहीं था और श्रीनगर में एक दुकान पर काम करता था। बता दें कि रामबन के रहने वाले अब्दुल लतीफ भी एक बार चर्चा में आए थे। साल 2005 में उन्होंने एक आतंकवादी को पत्थऱ से मार डाला था। इसके बाद उन्हें सेना की तरफ से सम्मानित किया गया था और एक प्रशस्ति पत्र भी दिया गया था।

पुलिस का कहना है कि अमीर आतंकवादियों की मदद करता था और उसे श्रीनगर के एक कमर्शल कॉम्प्लेक्स में मार दिया गया।

अब्दुल लतीफ ने कहा, ‘मैंने खुद अपने हाथों से एक आतंकी को मार दिया था। मैं आतंकियों की गोलियां खा चुका हूं। मेरे चचेरे भाई को भी आतंकवादियों ने मार दिया था। मुझे 11 साल पहले अपना घर छोड़ना पड़ गया। मैंने अपने बच्चों को बहुत मुश्किल से पाल-पोसकर बड़ा किया। मैं उन्हें आतंकियों से छिपाकर रखता था। आज मेरे त्याग का यह परिणाम मिला है कि कि जिसने एक आतंकी को मार गिराया उसी के बेटे को आतंकवादी बताया जा रहा है।’

मांगरे ने कहा कि पुलिस उनके बेटे का शव देने को भी तैयार नहीं है। घऱ के आसपास पुलिस तैनात है। कल को ये लोग मुझे भी मार सकते हैं और फिर कह देंगे कि मैं भी आतंकवादी था। बता दें कि इस एनकाउंटर में कमर्शल कॉम्प्लेक्स का मालिक भी मार दिया गया था। इसके बाद से इसे लेकर विवाद हो रहा है।

पहले पुलिस ने कहा था कि मोहम्मद अल्ताफ भट औऱ डॉ. मुदासिर गुल को आतंकवादियों ने मार दिया। बाद में पुलिस ने बयान बदल दिया और कहा कि हो सकता है वे क्रॉसफायरिंग में मारे गए हों। मारे गए लोगों के परिवार वालों का कहना हैकि सुरक्षाबलों ने उन्हें मार डाला। पुलिस का कहना है कि लॉ ऐंड ऑर्डर को देखते हुए तीनों शवों को 100 किलोमीटर दूर हंदवाड़ा में दफना दिया गया।