फास्टैग आधारित पथ कर प्रणाली में मौजूद कमियां पथ कर संग्रह पर असर डाल रहे हैं। पथ कर प्रक्रिया को लेकर संसदीय समिति ने यह कड़ी टिप्प्णी की है। समिति ने जांच में पाया कि टोल प्लाजा पर फास्टैग को रीचार्ज करने, खरीदने, बदलने जैसी सुविधाओं की भी कमी है। इसके अतिरिक्त कतार में देरी, गलत कटौती की स्थिति में भी यात्रियों को असहाय छोड़ दिया जाता है। इसकी वजह शिकायत तंत्र का कमजोर होना है।

समिति का मानना है कि मंत्रालय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) आधारित आटोमैटिक नंबर प्लेट रिकाग्न्शिन (एएनपीआर) और ग्लोबल नेवेगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) प्रोद्यौगिकियों का उपयोग कर मल्टी लेन फ्लो (एमएलएफएफ) टोलिंग शुरू करने की प्रकिया में है जबकि शुरूआती योजना (पायलट) ने संभावित राजस्व लाभ ही दिया है। यह रपट सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल ने लोकसभा में पेश की है।

समिति ने समस्या को खत्म करने और वाहन चालकों को इससे बचाने के लिए की है सिफारिश

समिति के मुताबिक फास्टैग को बड़े स्तर पर चालकों ने स्वीकार किया है। इस समय देश में 5.54 करोड़ से अधिक फास्टैग सक्रिय हैं और दैनिक पथ कर संग्रह 193 करोड़ रुपए हैं। समिति का मानना है कि प्रणाली प्रमुख परिचालन और उपयोगकर्ता स्तर पर कमियों से ग्रस्त है। टोल प्लाजा पर स्कैनर खराब होने से प्रक्रिया विफल हो जाती है, हालांकि सभी लेन तकनीकी रूप से स्वाचालित कर वसूली (ईटीसी) में सक्षम हैं। इसके बाद भी उपयोगकर्ता में असंतोष रहता है। संकट से वाहन चालकों को बचाने के लिए समिति ने सिफारिश की है कि प्रभावी टोल प्रबंधन वास्तविक समय की निगरानी और डेटा संचालित निर्णय लेने पर आधारित होना चाहिए। इसलिए एनएचएआइ एक वास्तविक समय टोल प्लाजा (डैशबोर्ड) विकसित करे, जो यातायात की सजीव स्थिति, कतार की लंबाई, लेन वार उपयोग और अनुमानित प्रतीक्षा के समय को बताए।

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इसके अतिरिक्त टोल केंद्र पर कर्मचारियों की तैनाती और लेन आबंटन सहित समय पर सुधार की कार्रवाई होनी चाहिए। इसी प्रकार चालकों की सुविधा के लिए टोल प्लाजा पर मौके पर ही फास्टैग रिचार्ज जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि बड़े आयोजन जैसे महाकुंभ, प्राकृतिक आपदा, बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम में कठोर टोल संग्रह यातायात भीड़ को बढ़ा सकते हैं, जिससे सुरक्षा में जोखिम भी पैदा होता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जिलाधिकारी और अन्य सक्षम प्राधिकरण को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनयिम और संगत नियमों में उपयोग संशोधन किए जाने का अधिकारी होना चाहिए। जहां तक आवश्यक हो, जनहित मे पथ कर संग्रहण को अस्थायी रूप से निलंबित किया जाए।

टोल गड़बड़ियों को नियंत्रित करने के लिए जीपीएस मैपिंग हो

राजमार्गों पर आपात स्थिति या दुर्घटना होने की स्थिति में पर्याप्त सेवाएं व बंदोबस्त नहीं है। हालात यह है कि गंभीर दुर्घटना व टक्कर की स्थिति में विशेष रूप से उच्च गति या दूरस्थ राजमार्ग खंडों पर पीड़ितों के लिए त्वरित चिकित्सा, सड़क किनारे सहायता और बचाव सहायता नहीं मिल पाती है। समिति का कहना है कि रियायती समझौतों और परियोजना दिशा निर्देेशों के बाद भी राजमार्ग संरक्षित ढांचे की कमी है, जिसमें एम्बुलेंस, आघात देखभाल, केंद्रीयकृत प्रेषण में तालमेल में कमी है। इस वजह से जीवन की हानि और गंभीर चोटें आती हैं।

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राजमार्ग के इन गंभीर हालात से निपटने के लिए समिति ने फास्टैग तंत्र, आटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्रिशन (एएनपीआर) कैमरे और निगरानी नेटवर्क को अनिवार्य तौर पर पहचान के लिए एकीकृत किया जाए ताकि ऐसी स्थिति में तुरंत दुर्घटना, अधिक दुर्घटना वाले क्षेत्र और कारणों का तेजी से पता लगाया जा सके। समिति ने सिफारिश की है कि इसके लिए जीपीएस आधारित एम्बुलेंस सेवा, राजमार्ग गश्ती और रिकवरी वाहनों के लिए एकीकृत प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त इस व्यवस्था की निगरानी के लिए एक केंद्रीयकृत नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया जाए।

टोल संबंधित गड़बड़ियों को नियंत्रित करने के लिए समिति ने सभी अधिकृत टोल प्लाजा में वास्तविक समय जीपीएस आधरित जीपीएस मैपिंग या जियो मैपिंग, संवेदनशील इलाकों में ड्रोन निगरानी और समय- समय पर संयुक्त समिति के माध्यम से जांच कराए जाने की सिफारिश की है ताकि अवैध तंत्र किसी भी टोल मार्ग पर स्थापित नहीं हो सके। इस मामले का संज्ञान समिति ने एक अवैध टोल घटना के सामने आने के बाद लिया है, जिसे बंद करा दिया गया था। समिति का कहना है कि ऐसी घटनाएं गंभीर प्रवर्तन और निगरानी की कमियों की ओर इशारा करती है।