जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जब बतौर प्रधानमंत्री लाहौर गए थे तो उन्होंने पाकिस्तान के सामने कश्मीर के बंटवारे का प्रस्ताव रखा था। फारूक के मुताबिक उन्हें इस बात की जानकारी वाजपेयी ने ही दी थी। उनका दावा है कि जब उन्होंने तत्कालीन पीएम से पाकिस्तान के साथ हुई बातचीत के बारे में पूछा तो वाजपेयी ने कहा था, ‘मैंने मसला सुलझाने के लिए उनसे कहा कि कश्मीर का वो हिस्सा (पीओके) वे रखे लें और ये हिस्सा हम रखेंगे। हम वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) में सुधार कर लेंगे। इससे दोनों देशों के लोगों को यात्रा और व्यापार में सुविधा होगी। लेकिन, उन्होंने यह प्रस्ताव नहीं माना।’
15 साल पहले फारूक ने खुद भी सलाह दिया था कि एलओसी को अंतरराष्ट्रीय सीमा में बदल दिया जाए। उनके उस बयान पर भी काफी विवाद हुआ था और अब दिए गए बयान से भी ऐसा ही हुआ है। अब्दुल्ला ने ताजा बयान कांग्रेस के बड़े नेता गिरधारी लाल डोगरा की पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम के बाद दिया। जब उनका ध्यान इस बात पर दिलाया गया कि भारतीय संसद ने पीओके को भारत का अभिन्न अंग करार देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है, तो उनका कहना था, ‘आखिर हम कितने साल तक कहते रहेंगे कि यह हमारा हिस्सा है। हमने इसे संभव बनाने के लिए क्या किया है? क्या हमने कश्मीर का वह हिस्सा अपने में मिला लिया है?’ पाकिस्तान से बातचीत को विवाद हल करने का एक मात्र तरीका बताते हुए उन्होंने कहा, ‘आज वो इस बात को मानने के लिए राजी हैं, लेकिन आप कम से कम उनसे बात तो करें। अगर हम समाधान चाहते हैं तो यही एक रास्ता है।’ उन्होंने कहा कि दोनों मुल्कों के बीच चार लड़ाइयां हो चुकी हैं और दोनों ओर से लोगों के मारे जाने के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ है।
जब अब्दुल्ला से पूछा गया कि उन लोगों का क्या जो पीओके को भारत में मिलाने की मांग करते रहे हैं, तो उनका साफ कहना था- ऐसा कभी नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘वह पाकिस्तान का हिस्सा है और उसी का रहेगा। यह (जम्मू कश्मीर) भारत का हिस्सा है और यहीं रहेगा। आप यह बात समझ लीजिए कि एक मात्र रास्ता यही है कि भारत-पाकिस्तान बातचीत करें और कोई हल निकालें।’ फारूक ने वर्ष 2000 में मुख्यमंत्री रहते हुए भी एलओसी को अंतरराष्ट्रीय सीमा में तब्दील कर कश्मीर समस्या का हल करने का सुझाव दिया था।