संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया है कि सरकार बातचीत को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। बता दें कि केंद्र द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद अब किसानों की मांग है कि एमएसपी पर गारंटी कानून बने। ऐसे में संगठनों को सरकार से बातचीत करने के लिए बुलावे का इंतजार है।

बता दें कि पिछले दिनों एमएसपी से संबंधित मसले पर बात करने के लिए किसान संगठनों की तरफ से पांच प्रतिनिधियों के नाम दिये गए थे। जिसमें पंजाब से बलबीर राजेवाल, हरियाणा से गुरनाम सिंह चढूनी, उत्तर प्रदेश से युद्धवीर सिंह, मध्य प्रदेश से शिव कुमार कक्का, और महाराष्ट्र से अशोक धवले के नाम शामिल थे। हालांकि इन नामों के दिये जाने के बाद किसान संगठनों को सरकार की तरफ से बैठक के बुलावा नहीं आया है।

वहीं मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक होगी। जिसमें किसान संगठन सरकार पर अपना दबाव बनाने की कोशिश करेंगे। बता दें कि इस बैठक में आंदोलन की आगे की रणनीति भी तैयार की जायेगी।

सरकार और किसान संगठनों में कहां अटकी है बात: गौरतलब है कि किसानों की मांग है कि किसानों के लिए MSP गारंटी क़ानून बनाया जाये, आंदोलन के दौरान किसानों पर जो मुक़दमे दर्ज किये गए हैं, उन्हें वापस लिया जाये। इसके अलावा आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए।

हालांकि सरकार की तरफ से संसद में कहा गया है कि किसान की मौत से जुड़े आंकड़े उसके पास नहीं है। ऐसे में मुआवजा देने का सवाल नहीं है। वहीं सरकार के इस जवाब पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार झूठ बोलना बंद करे। हम मृतक किसानों की लिस्ट देंगे।

टिकैत ने कहा है कि आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के नाम हम दे देते हैं, आगे की जानकारी वो सरकार खुद निकाल ले। उन्होंने कहा कि हम जो बता रहे हैं उससे संतुष्ट हो जाओ क्योंकि देश का किसान झूठ नहीं बोलेगा। राकेश टिकैत ने कहा कि जो रिपोर्ट सामने आई है, उसकी जांच कर लें, करीब 600 से ज्यादा किसान आंदोलन के दौरान या फिर आंदोलन से संबंधित कार्यक्रमों में मौत का शिकार हुए हैं।