मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि इस साल के लास्ट तक इस समस्या का समाधान हो जाएगा। किसान नेता ने कहा कि किसान आंदोलन अभी आठ महीने और चलाना पड़ेगा।

टिकैत ने कहा “अगर सरकार नहीं मानेगी तो आंदोलन तो करने पड़ेंगे। देश तो लुट गया, नौजवान बर्बाद हो गया, नौकरी कहां हैं इनके पास। किसान भी बर्बाद हो गया अब इनकी ज़मीनें जाएंगी। आंदोलन नहीं होगा तो जमीन छिन जाएगी, रोजगार है नहीं मजदूर बन जाएगे ये सारे।” टिकैत ने कहा “अभी गेहूं की खरीद में देखते हैं कि एमएसपी पर कितनी खरीद होती है। खाली उत्तर प्रदेश में गन्ने का 15 हज़ार करोड़ रुपये बकाया है।”

किसान नेता ने कहा “किसानों को आंदोलन तो करने ही पड़ेंगे। इस देश को आंदोलन बचाएगा। जब संसद में आवाज़ उठनी बंद हो जाये तो सड़क से आवाज़ उठती है। अब सड़क से ही आवाज़ उठानी पड़ेगी। टिकैत ने कहा कि 10 मई के बाद यह आंदोलन और तेज होगा। इस बीच किसान गेहूं की फसल को काटने में लगे रहेंगे। टिकैत ने कहा कि किसान 10 मई तक गेहूं की फसल काटकर लौटेंगे तो आंदोलन और तेज होगा।

अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने बुधवार को को बताया कि लाखों प्रदर्शनकारी मई में संसद का घेराव करेंगे। मोल्लाह ने कहा कि मोदी सरकार और संसद किसानों की बात नहीं सुन रही है तो यह हमारा अधिकार है कि हम संसद के सामने जाएं और अपनी मांग को उठाएं, हम इसके लिए मई महीने में एक तारीख तय करेंगे।

बता दें सरकार और किसानों के बीच कई राउंड की बातचीत भी हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला। किसान इस बात पर अड़े हुए हैं कि वे तब तक विरोध प्रदर्शन बंद नहीं करेंगे जब तक कि कानून को पूरी तरह से वापस नहीं ले लिया जाता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी नहीं मिल जाती है।