किसान एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं। पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर बड़ी तादाद में किसानों ने पड़ाव डाला हुआ है। सरकार के साथ किसानों की बातचीत तीन बार बेनतीजा रही है और आज चौथी बार बैठक होने वाली है। इससे पहले किसानों ने 8, 12 और 15 फरवरी को सरकार के साथ बातचीत की थी।

ऐसी खबरे हैं कि सरकार ने किसानों की कुछ मांगे मान ली है और कुछ पर अभी सहमति नहीं हुई है। चौथी बार की बातचीत में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय के साथ किसान नेताओं की बातचीत होने वाली है।

क्या सफल होगी वार्ता?

शंभू बॉर्डर पर जमा किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कर्जमाफी और कानूनी मांगों लेकर डटे हुए हैं। पंजाब फार्म यूनियन नेताओं ने शनिवार को कहा कि सरकार को किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए अध्यादेश लाना चाहिए। .

‘MSP पर अध्याधेश लाए सरकार’

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने शंभू बॉर्डर पर पत्रकारों से कहा, ”अगर सरकार चाहे तो रातों-रात अध्यादेश ला सकती है। अगर सरकार किसानों के विरोध का समाधान चाहती है, तो एमएसपी पर एक अध्यादेश लाए।”

पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर आज हमारा छठा दिन है। आज हम सरकार से बातचीत भी कर रहे हैं। सरकार ने कुछ समय मांगा है और कहा है कि वह इस मामले पर चर्चा करेगी।

उनकी मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी और पुलिस मामलों को वापस लेना शामिल है। किसान भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 के विरोध प्रदर्शन से प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे के लिए भी दबाव डाल रहे हैं।