केंद्र के तीन नए कृषि बिलों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार ग्यारहवें दिन भी जारी है। शनिवार को किसान और सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत में दोनों पक्ष कोई हल नहीं ढूंढ सके। सरकार ने अब किसानों को 9 दिसंबर को वार्ता के लिए बुलाया है। इधर दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदर्शन कर रहे किसान मुस्तैदी से तैनात हैं। अन्नदाताओं का प्रदर्शन राजनीति का शिकार ना इसका ध्यान रखा जा रहा है।

उदाहरण के लिए दिल्ली-हरियाणा सिंघु बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन के मुख्य मंच से भाषण देने वाले लोगों की सख्ती से निगरानी की जा रही है। भाषणों को क्रॉस चेक करने के लिए 500 से अधिक लोगों को तैनात किया गया है। प्रदर्शनकारी सावधान रहते हैं कि मंच पर कौन है और इसकी जानकारी प्रबंधक समिति को दी जाती है। मंच से भाषण देने वाले वक्ताओं का विवरण सावधानीपूर्वक बनाया जाता है। भाषण देने वालों में राजनीतिक पार्टियों से संबंध रखने वाले लोगों को स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया है।

शनिवार को पंजाबी गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ और अन्यों को मंच बोलने की अनुमति भी सिर्फ इस शर्त पर दी गई कि वो किसानों के मुद्दे पर बात करेंगे। दोसांझ पंजाबी फिल्मों के एक बड़े स्टार भी हैं जो किसान विरोध प्रदर्शन के समर्थन में उतरे हैं। उन्होंने मंच से किसानों को संबोधित कर कहा कि मैं यहां बोलने नहीं, सुनने के लिए आया हूं और राष्ट्रीय मीडिया से अपील करता हूं कि वो चीजों को वैसा ही दिखाएं जैसी वो हैं। प्रदर्शन स्थल पर कोई हिंसक नहीं है। किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। दोसांझ ने कहा कि उनकी सरकार से सिर्फ एक अपील है कि सरकार को किसानों और उनकी मांगों को सुनना चाहिए।

किसानों के समर्थन में हरभजन मान और रंजीत बावा सहित अन्य पंजाबी कलाकार भी उतर आए हैं। हालांकि कुछ ऐसे पंजाबी एक्टर भी जिन्हें मंच से भाषण देने से रोक दिया गया। इनमें दीप सिंधु शामिल हैं, दरअसल उनकी एक टिप्पणी से खासा विवाद पैदा हो गया था जिसे कथित तौर पर खलिस्तान समर्थन के रूप में देखा गया।

प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा सावधानीपूर्वक वक्ताओं के भाषण की जांच के पीछे बड़ी वजह है कि मुख्य मुद्दे से ध्यान ना भटके। भारतीय किसान यूनियन के मंजीत सिंह ने बताया कि हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि प्रदर्शन पूरी तरह सिर्फ किसानों के मुद्दे पर हो और किसी अन्य मुद्दे को इसे हाईजैक नहीं करने देंगे। उन्होंने कहा कि नीति बहुत सरल है, अगर कोई शख्स मंच पर आता है और किसानों के मुद्दों के अलावा कुछ और कहता है तो उसे फिर से बोलने की अनुमति नहीं मिलेगी।

क्रांतिकारी किसान यूनियन (पटियाला) के संयोजक मक्खन सिंह ने कहा कि अगर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी यहां आते हैं तो उन्हें भी बाहर इंतजार करना पड़ेगा। किसान प्रदर्शन के पहले दिन से हमने कहा कि ये राजनीतिक विरोध नहीं है। उन्होंने कहा कि हम कृषि बिलों के विरोध में हैं और इस भावना को सुनिश्चित करना चाहते हैं। इसी मकसद के लिए समर्पित लोग मंच की देखरेख करते हैं क्योंकि कोई भी यहां आकर उकसाने वाले भाषण दे सकता है और इससे मुद्दे भटकेंगे।