किसान नेता राकेश टिकैत ने कृषि विभाग पर तंज कसते हुए कहा कि जिस विभाग में 18 मंत्री होंगे, उसका यही हाल होगा। टिकैत ने कहा कि किसान व खेती दोनों को बचाने के लिए कृषि से जुड़े 18 विभागों को एक जगह जोड़ना बहुत जरूरी है। इसी से किसान का भला होगा। सरकार को खेती से जुड़े अलग-अलग विभागों को एक जगह जोड़कर एग्रीकल्चर कैबिनेट बनाना होगा।  

किसानों को अपना आंदोलन चलाते तीन माह होने को हैं, लेकिन अभी तक सरकार उनकी मांगों को तवज्जो नहीं दे रही है। सरकार के साथ किसानों की 11 दौर की बात हो चुकी है। टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों से किसान व खेती किसी का भला नहीं होगा। आने वाला समय भूख के हिसाब से फसल की कीमत तय करने वाला होगा। सरकार के तीनों कृषि कानून लागू हुए तो भूख पर व्यापार का होगा। उनका कहना था कि लड़ाई को तोड़ने व कमजोर करने के लिए किसानों को हरियाणा, पंजाब, यूपी और जाति के भेद पर बांटने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन सारे किसान एकजुट हैं।

टिकैत ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को पहले खलिस्तानियों का बता रही थी। फिर इसे सिखों का आंदोलन कहा गया और अब इसे जाटों का आंदोलन बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता यहां खुद आकर देख लें कि यह किसका आंदोलन है। रेल चक्का कार्यक्रम पर बात करते हुए टिकैत ने कहा कि यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से होगा और अगर कोई हिंसा की बात करेगा तो उसका इलाज करेंगे।

गौरतलब है कि किसानों की सरकार के साथ 11 दौर की बैठक हो चुकी है। सड़क से लेकर संसद तक गरमा-गरम बहस के बाद भी बात नहीं बनी, तो किसानों ने अब आंदोलन का रुख बंगाल की तरफ मोड़ दिया है। इस बंगाल चलो का आह्वान महापंचायत के मंच से किया जा रहा है। आंदोलनकारी किसानों ने उनका समर्थन ना करने वालों के खिलाफ वोट की अपील है। टिकैत ने कहा है कि बंगाल में किसान पंचायतें करेंगे। वहीं दूसरे किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि बीजेपी हारेगी, तभी तो आंदोलन जीतेगा।