केंद्र सरकार ने किसानों के साथ 4 मई को होने वाली वार्ता रद्द कर दी है। किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा-गैर-राजनीतिक ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से पंजाब सरकार को वार्ता से बाहर रखने का अनुरोध किया था, जिसके बाद केंद्र ने किसान यूनियनों के साथ 4 मई को होने वाली बैठक रद्द कर दी है।
केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) को संबोधित 1 मई के पत्र में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने यूनियनों से अपने रुख पर पुनर्विचार करने को कहा है। यूनियनों से जवाब मिलने के बाद बैठक फिर से निर्धारित की जाएगी।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने यूनियनों से अपने रुख पर पुनर्विचार करने को कहा
संयुक्त सचिव पूरन चंद्र किशन द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है, “हमने 25 अप्रैल को आपको 4 मई को प्रस्तावित बैठक के बारे में लिखा था, जिसका आपने 27 अप्रैल को जवाब देते हुए कहा कि पंजाब सरकार को वार्ता से बाहर रखा जाए अन्यथा आप बैठक में भाग नहीं लेंगे।” इसमें आगे कहा गया है, “हालांकि, संघीय ढांचे में राज्य सरकार की उपस्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसलिए राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की भागीदारी उचित है।”
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किसान यूनियन बोले- हमारी मांगों के बारे में बातचीत अभी ठप
केएमएम के समन्वयक सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हमने केंद्र सरकार को अपने रुख के बारे में स्पष्ट रूप से बता दिया है और उनके जवाब से संकेत मिलता है कि हमारी मांगों के बारे में बातचीत अभी ठप है।” उन्होंने कहा कि केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) 3 मई को एक बैठक करेंगे, जिसमें आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।
27 अप्रैल को लिखे अपने पत्र में किसान नेताओं ने कहा था कि 19 मार्च की वार्ता के बाद पंजाब सरकार ने बैठक से लौटते समय कई नेताओं को गिरफ्तार करके उनके साथ विश्वासघात किया है। पत्र में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग का भी आरोप लगाया गया है। पत्र पर अभिमन्यु कोहाड़, जगजीत सिंह दल्लेवाल, सुखजीत सिंह हरदोझंडे, सरवन सिंह पंधेर और सुखविंदर कौर सहित अन्य लोगों ने हस्ताक्षर किए।
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शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का धरना
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम 13 फरवरी, 2024 से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे थे। सातवें दौर की वार्ता के बाद 19 मार्च को विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया गया। 19 मार्च को सैकड़ों किसानों को गिरफ्तार किया गया और 28 मार्च को रिहा किया गया। पंजाब पुलिस ने एनएच-44 और एनएच-52 को खाली कराने के लिए बल प्रयोग किया, किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि कार्रवाई के दौरान कई ट्रॉलियां और सामान खो गए।
किसान यूनियनों और केंद्र के बीच इससे पहले 2024 में 8, 12, 15 और 18 फरवरी को और 2025 में 14, 22 फरवरी और 19 मार्च को वार्ता हुई थी। किसानों की प्रमुख मांगों में सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, बढ़ते कर्ज की समस्या से निपटने के लिए पूर्ण ऋण माफी, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों और भारतीय कृषि पर उनके संभावित प्रतिकूल प्रभावों के बारे में चिंताएं शामिल हैं। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स