केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली से सटे बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन पिछले कई हफ्तों से जारी है। इस आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई है। लेकिन अबतक कोई बात नहीं बन पाई है। किसान अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना कि कानून को वापस लिया जाना चाहिए। इसी बीच भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने उन किसानों से मिलने की बात कही है जो कृषि कानून के पक्ष में हैं।

टिकैत उन किसानों से मिलना चाहते हैं जो सरकार और इन कानून का समर्थन कर रहे हैं और वे उनसे इस कानून से मिलने वाले फायदों के बारे में जनना चाहते हैं। टिकैत ने कहा “हम 3 किसान कानूनों पर केंद्र का समर्थन करने वाले उन किसान समूहों से मिलेंगे। हम उनसे इस बारे में जानकारी लेंगे कि वे फ़ार्म कानून से किस तरह से लाभान्वित हो रहे हैं और वह तकनीक सीखेंगे, जिसका उपयोग वे अपनी फसल बेचने के लिए कर रहे हैं।”

इससे पहले टिकैत ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाया था। राकेश टिकैत ने कहा कि जो लोग कृषि कानून का समर्थक कर रहे हैं, उन किसानों का खाना बीजेपी के दफ्तर में बन रहा है। टिकैत ने कहा था कि मेरठ-गाजियाबाद से हमारे समर्थन में जो ट्रैक्टर आ रहे हैं, उन्हें रोका जा रहा है। लेकिन दूसरे ट्रैक्टरों को जाने दिया जा रहा है। जो किसान कानून के समर्थन में आंदोलन की बात कर रहे हैं, उन्हें पैसा दिया जा रहा है और गाजियाबाद के बीजेपी दफ्तर में उनका खाना बना है।

बता दें सरकार ने किसान संगठनों को पत्र लिखकर बातचीत का न्योता दिया है। अपने पत्र में सरकार ने संगठनों से कहा है कि वो बातचीत के लिए तारीख तय करें। टिकैत ने दो टूक कहा, ‘सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है। न ही बातचीत का कोई प्रस्ताव आया है। हम MSP पर कानून बनाने की बात कर रहे हैं। हम आगे की रणनीति क्या बनाएंगे, हम तो यहीं रहेंगे। रणनीति तो अब सरकार को बनानी है।’