किसान आंदोलन हर बीतते दिन के साथ और ज्यादा व्यापक रूप लेता दिख रहा है। इसी कड़ी में आज शुक्रवार को ग्रामीण भारत बंद का ऐलान किया गया है। कई ट्रेड यूनियन से लेकर ट्रक ड्राइवर भी इस बंद का हिस्सा बनने जा रहे हैं। जगह-जगह चक्का जाम करने की तैयारी है और दबाव भारत सरकार पर बनाना है। तीसरी वार्ता में भी क्योंकि कोई नतीजा नहीं निकला है, इस वजह से आंदोलन अब और ज्यादा आक्रमक होने जा रहा है।

बड़ी बात ये है कि अभी तक तो सिर्फ हरियाणा और पंजाब के ही किसान विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे थे, लेकिन अब कई किसान संगठन साथ में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं, यानी कि सभी किसान एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाने जा रहे हैं। इस बंद को क्योंकि ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन हासिल है, इस वजह से सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक सभी कृषि कार्यों पर रोक रहने वाली है। इसके ऊपर गांव की जो दुकाने हैं, बाजार हैं, उन्हें भी बंद रखा जाएगा। इसके साथ-साथ दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक देश की सभी बड़ी सड़कों पर चक्का जाम की तैयारी है।

किसानों की तरफ से जोर देकर कहा गया है कि चक्का जाम के दौरान आपातकालीन सेवाओं को नहीं रोका जाएगा। शादी की बारात से लेकर एंबुलेंर को हरी झंडी दिखाई जाएगी। इसके साथ-साथ परीक्षा देने वाले छात्रों को भी आगे जाने की अनुमति रहेगी। ये भी साफ कर दिया गया है कि हाइवे को बंद नहीं किया जा रहा है, ऐसे में इस बंद का असर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिलने वाला है।

इस बंद को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत भी खासा उत्साहित हैं। वे मानकर चल रहे हैं कि इससे पूरे देश को एक बड़ा संदेश जाएगा। वे कहते हैं कि हमने ‘ग्रामीण भारत बंद’ के बारे में बात की है-कि किसान आज अपने खेतों में न जाएं। यह आज एक बड़ा संदेश देगा… इस आंदोलन की एक नई विचारधारा है, एक नई पद्धति है। हाईवे बंद नहीं होंगे, बैठकें जारी रहेंगी और हम वहीं निर्णय लेंगे… 17 फरवरी को सिसौली में होगी मासिक पंचायत… MSP पर हमारी मांग तो है लेकिन पंजाब और हरियाणा में जो घटनाएं हो रही हैं, उस पर रणनीति बनानी होगी- हमें ऐसी उम्मीद है। हमने कहा है कि इसके लिए भीड़ के रूप में इकट्ठा न हों… जहां तक बंद का सवाल है, हमने लोगों से स्वेच्छा से भाग लेने का आग्रह किया है।

वैसे इस ग्रामीण भारत बंद को लेकर एसकेएम एनसीसी के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने भी अहम जानकारी दी है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि सब्जियों और अन्य फसलों की खरीद रोकी जाएगी। गांव की दुकानें, अनाज बाजार, सब्जी बाजार, सरकारी, गैर सरकारी ऑफिस बंद रहेंगे। ग्रामीण औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के संस्थान के साथ निजी क्षेत्र के उद्यमों को बंद रखने का अनुरोध किया गया है। इसके अलावा हड़ताल के दौरान गांवों के नजदीकी कस्बों की दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।

यहां ये समझना जरूरी है कि किसानों के साथ केंद्र सरकार की तीसरी वार्ता भी फेल हो चुकी है। कई मांगों को लेकर किसान पूरी तरह डटे हुए हैं, जोर देकर कहा गया है कि जब तक एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाती, आंदोलन जारी रहने वाला है। केंद्र ने जोर देकर कहा था कि कई फसलों पर पहले से ही एमएसपी दी जा रही है। इस बात पर भी जोर दिया गया कि हरियाणा और पंजाब के किसानों को तो गेहूं और धान पर पहले से ही एमसपी मिल रही है। लेकिन किसान ने एक बात नहीं सुनी, किसी तरह के बीच के रास्ते को लेकर भी सहमति नहीं बन पाई है।

किसानों की 12 मांगों की बात करें तो वो इस प्रकार हैं-

  • 1 स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक MSP का कानून बनाया जाए।
  • 2 देश के सभी किसानों का कर्ज माफ किया जाए
  • 3 भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को फिर लागू करें
  • 4 लखीमपुर खीरी कांड के आरोपियों को सजा, किसानों को न्याय
  • 5WTO से बाहर निकलें, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट खारिज करें
  • 6 किसानों को पेंशन देने का ऐलान हो
  • 7 मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार, 700 रुपये मजदूरी
  • 8 पिछले आंदोलन में मरे किसानों के परिवार को मुआवजा
  • 9 इलेक्ट्रिसिटी संशोधन बिल 2020 रद्द हो
  • 10 नकली बीज, कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों पर एक्शन
  • 11 मिर्च, हल्दी जैसे मसालों पर राष्ट्रीय आयोग