लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। जहां एक तरफ से कांग्रेस उनके इस्तीफे की मांग को लेकर हमलावर है तो वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि आखिर सरकार कब तक मंत्री के बेटे को बचाएगी। गौरतलब है कि राकेश टिकैत ने भी अजय टेनी के इस्तीफे की मांग की है।

बचा दें कि अजय मिश्रा को लेकर बढ़े बवाल को लेकर एक न्यूज चैनल पर डिबेट का हिस्सा बने राकेश टिकैत ने कहा कि नैतिकता के आधार पर सरकार को अजय मिश्रा को बर्खास्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकार को सवाल करने पर धमकी देना गलत है। टिकैत ने कहा कि कैमरा और कलम पर बंदूक का पहरा लगा हुआ है। अगर प्रेस सवाल करती है तो धमकी नहीं बल्कि उसका जवाब देना चाहिए।

राकेश टिकैत ने कहा- जांच से संतुष्ट: उन्होंने सरकार पर सवाल खड़ा किया कि आखिर सरकार अजय मिश्रा को क्यों बचाना चाहती है। नैतिकता के आधार पर अजय मिश्रा को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं एंकर ने राकेश टिकैत से सवाल किया कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जिस तरह से जांच चल रही है उससे आप संतुष्ट हैं? इस पर टिकैत ने कहा कि जांच बिल्कुल ठीक हुई है।

गौरव भाटिया ने की राजीव गांधी की बात: डिबेट में शामिल भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पार्टी का पक्ष रखते हुए कांग्रेस को लपेटे में लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा को घेरने वाली कांग्रेस 1984 में हुए सिख दंगो के आरोपियों को सम्मान देती है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ने इन दंगों को लेकर कहा था कि बड़ा पेड़ गिरने से धरती हिलती है। उन्होंने कहा कि कुछ सप्ताह पहले सिख दंगों के आरोपी जगदीश टाइटलर को कांग्रेस ने पदासीन किया। कांग्रेस नरसंहार करने वालों को सम्मान दे रहे हैं।

राहुल गांधी ने उठाया लोकसभा में मामला: बता दें कि अजय मिश्रा के मामले पर सरकार घिरती नजर आ रही है। गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, “हमें लखीमपुर खीरी में हुई हत्या के बारे में बोलने की अनुमति मिलनी चाहिए। जिस घटना में मंत्री की संलिप्तता थी और जिसके बारे में कहा गया है कि यह हादसा नहीं बल्कि एक साजिश थी। किसानों की हत्या करने वाले मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए।”

एसआईटी की रिपोर्ट: लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की जांच कर रही एसआईटी ने बड़ा खुलासा किया है। बता दें कि SIT की रिपोर्ट में कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को मारने के इरादे से उनपर गाड़ी चढ़ाई गई थी। वो हादसा नहीं था।