हरियाणा के फरीदाबाद जिले के सनपेड़ गांव में एक दलित परिवार को जिंदा जला देने के कारण हुई दो बच्चों की मौत की घटना के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त और उपायुक्त (जिलाधिकारी) को तलब किया है।

आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया ने बताया, ‘‘फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त और प्रशासनिक अधिकारी (उपायुक्त) को सनपेड़ गांव में 26 अक्तूबर को हुई घटना के सिलसिले में तलब किया गया है।’’

फरीदाबाद के सनपेड़ गांव में सोमवार देर रात सोते समय एक दलित परिवार के चार लोगों को कथित तौर पर ऊंची जातियों के कुछ लोगों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया था। घटना में दो बच्चों – ढाई साल के वैभव और 11 महीने की दिव्या – की मौत हो गई, जबकि उनके माता-पिता – 28 साल की रेखा और 31 साल का जितेंद्र – गंभीर रूप से झुलस गए थे।

हमलावरों ने कथित रूप से खिड़की में से पेट्रोल छिड़का और घर को आग लगा दी जिसके कारण वैभव और दिव्या की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। मंगलवार को यह घटना सामने आने के बाद सनपेड़ गांव का दौरा करने वाले आयोग के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारी मशीनरी ने दलितों की कीमत पर अमीर और ताकतवर का साथ दिया।’’

पुनिया ने उम्मीद जताई कि लोकसभा द्वारा पारित लेकिन राज्यसभा द्वारा अब तक पारित नहीं किया गया अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (प्रताड़ना रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2014 चीजों को दलितों के पक्ष में बदल देगा और सनपेड़ जैसी घटनाएं फिर नहीं हो सकेंगी ।

उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक अब तक राज्यसभा द्वारा पारित नहीं किया गया है। इसमें दलितों एवं आदिवासियों के खिलाफ प्रताड़ना के मामलों का समयबद्ध, तीन महीने में, निपटारा करने का प्रावधान है और इसके लिए विशेष अदालतों का गठन किया जाएगा।’’

फरीदाबाद के पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि एक पिता-पुत्र सहित 11 लोगों पर सनपेड़ कांड के सिलसिले में मुकदमा दर्ज किया गया है।

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