उर्दू के मशहूर शायर और फिल्म गीतकार निदा फाजली का 8 फरवरी मुंबई में निधन हो गया। 12 अक्टूबर 1938 को दिल्ली में जन्मे निदा फाजली का निधन हार्ट अटैक से हुआ। वह 78 वर्ष के थे। उन्हें शायरी विरासत में मिली थी। उनके पिता भी शेरो-शायरी में दिलचस्पी लिया करते थे और उनका अपना काव्य संग्रह भी था, जिसे निदा फाजली अक्सर पढ़ा करते थे। निदा फाजली ने सूरदास की एक कविता से प्रभावित होकर शायर बनने का फैसला किया था। यह बात उस समय की है, जब उनका पूरा परिवार बंटवारे के बाद भारत से पाकिस्तान चला गया था, लेकिन निदा फाजली ने हिन्दुस्तान में ही रहने का फैसला किया। एक दिन वह एक मंदिर के पास से गुजर रहे थे, तभी उन्हें सूरदास की कविता सुनाई दी, जिसमें राधा और कृष्ण की जुदाई का वर्णन था। निदा फाजली इस कविता को सुनकर इतने भावुक हो गए कि उन्होंने उसी क्षण फैसला कर लिया कि वह कवि के रूप में अपनी पहचान बनाएंगे।
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निदा फाजली ने ग्वालियर कॉलेज से ग्रेजुएशन की और सपनों को पूरा करने के लिए 1964 में मुंबई आ गए। यहां उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इस बीच उन्होंने धर्मयुग और ब्लिट्ज जैसी पत्रिकाओं में लेखन भी किया। निदा फाजली, मीर और गालिब की रचनाओं से काफी प्रभावित थे।
सत्तर के दशक में मुंबई में अपने बढ़ते खर्चे को देखकर उन्होंने फिल्मों के लिए भी गीत लिखना शुरू कर दिया, लेकिन फिल्मों में उन्हें सफलता नहीं मिली, पर उन्होंने संघर्ष जारी रखा। धीरे-धीरे मुंबई में उनकी पहचान बनती गई। लगभग दस वर्ष तक मुंबई में संघर्ष करने के बाद 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘आप तो ऐसे न थे’ में मनहर उधास की आवाज में अपने गीत ‘तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है’ की सफलता के बाद निदा फाजली कुछ हद तक गीतकार के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए। इस फिल्म की सफलता के बाद निदा फाजली को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए। इन फिल्मों में ‘बीबी ओ बीबी’, ‘आहिस्ता-आहिस्ता’ और ‘नजराना प्यार का’ जैसी फिल्में शामिल हैं।
इस बीच उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा और कई छोटे बजट की फिल्में भी की। फिर उनकी मुलाकात संगीतकार खय्याम से हुई, जिनके संगीत निर्देशन में उन्होंने फिल्म ‘आहिस्ता-आहिस्ता’ के लिए ‘कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता’ गीत लिखा। यह गीत काफी लोकप्रिय हुआ।
वर्ष 1983 निदा फाजली के सिने करियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। फिल्म ‘रजिया सुल्तान’ के निर्माण के दौरान गीतकार जां निसार अख्तर की आकस्मिक मृत्यु के बाद निर्माता कमाल अमरोही ने निदा फाजली से फिल्म के बाकी गीत को लिखने को कहा। इस फिल्म के बाद वह गीतकार के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए। गजल सम्राट जगजीत सिंह ने निदा फाजली के लिए कई गीत गाए, जिनमें 1999 मे प्रदर्शित फिल्म ‘सरफरोश’ का यह गीत ‘होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है’ भी शामिल है।