भारत में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब एक खबर में खुलासा हुआ है कि भारत में शैक्षिक डिग्रियों की खरीद-फरोख्त का व्यवसाय फल-फूल रहा है। खबर के अनुसार, लोगों को पैसे के बदले इंजीनियरिंग से लेकर पीएचडी तक की डिग्रियां बेची जा रही हैं। डिग्री के हिसाब से इसके दाम तय हैं। उल्लेखनीय बात ये है कि इसके लिए छात्रों को कॉलेज जाने और किसी तरह की परीक्षा देने की भी जरुरत नहीं है।
दरअसल न्यूज 18 ने अपनी एक रिपोर्ट में इस खबर का खुलासा किया है। दरअसल न्यूज रिपोर्ट्स की एक टीम ने मुंबई की एक प्रमुख एजुकेशन कंसल्टेंसी के एजेंट से बात की। इस एजेंट ने बताया कि वह बैचलर ऑफ आर्ट्स की साल 2016 की बैक डेट डिग्री दे सकता है। एजेंट ने बताया कि वह दो जानी-पहचानी यूनिवर्सिटी की डिग्रियां पैसों के बदले मुहैया करा सकता है। एजेंट ने जिन दो यूनिवर्सिटी की डिग्री दिलाने की बात कही, उनमें यशवंतराव च्वहाण यूनिवर्सिटी और सोलापुर यूनिवर्सिटी का नाम शामिल है। बता दें कि ये दोनों ही यूनिवर्सिटी यूजीसी और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन से मान्यता प्राप्त हैं।
एजेंट ने बताया कि वह इंजीनियरिंग की डिग्री 75,000 रुपए में और कानून की डिग्री 2 लाख रुपए में दिला सकता है। एजेंट के अनुसार, यह डिग्री 45 दिनों में छात्र के पास आ सकती है, जिनमें से 30 दिन में छात्र को डिग्री की स्कैन कॉपी मिलेगी और इसके 10-15 दिन बाद हार्ड कॉपी मुहैया करा दी जाएगी। गौरतलब है कि डिग्री पाने के लिए छात्रों को किसी क्लास में जाने कि या फिर परीक्षा देने की भी कोई जरुरत नहीं है।
एजेंट ने डिग्री के नकली होने के सवाल पर कहा कि यह असली डिग्री होगी, जो कि यूनिवर्सिटी के रिकॉर्ड में भी शामिल होगी। ऐसे में किसी जांच में फंसने के भी कोई चांस नहीं है।
एजेंट ने खुलासा किया कि यूनिवर्सिटीज को अपने तय लक्ष्य पूरे करने होते हैं और इन्हीं लक्ष्यों को पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटीज के विभिन्न सेंटर्स द्वारा इन तरह से डिग्रियों को बेचा जाता है। वहीं इस खबर के खुलासे के बाद एचआरडी मंत्रालय ने इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं। मंत्रालय ने एक ट्वीट कर बताया कि एक कमेटी गठित की है, जो इसकी जांच करेगी।