चंद्रयान-2 के तहत लैंडर विक्रम की असफलता के बाद से इसका असर इसरो की भविष्य की अन्य परियोजनाओं पर पड़ सकता है। इनमें इसरो का एक और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट ‘गगनयान’ भी शामिल है। बताया जा रहा है कि इसरो अपने इंसानी मिशन को लेकर कोई रिस्क की गुंजाइश नहीं रखना चाहता है।
गगनयान को 2022 में अंतरिक्ष में भेजे जाने का लक्ष्य तय किया गया है। अगले कुछ सालों में इसरो के पास कई अन्य हाई प्रोफाइल मिशन भी हैं जिनमें सूर्य, शुक्र मिशन के साथ ही अंतरिक्ष में एक स्थायी स्टेशन का निर्माण भी शामिल है। भले ही चंद्रयान-2 अपने ऑर्बिटर माड्यूल के कारण अपने कई वैज्ञानिक उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रहा है लेकिन चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में असफल रहने के बाद इस महत्वपूर्ण तकनीक को लेकर निर्धारित समय सीमा में इसरो की क्षमता पर सवाल भी उठ रहे हैं।
अंतरिक्ष मानव मिशन थोड़ा पेचीदा है क्योंकि इसमें गलती की बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं है। भले ही पिछले कुछ दशक में इसरो का रिकॉर्ड बेहतरीन रहा हो लेकिन मौजूदा झटके ने इसरो को अपनी क्षमताओं का फिर से आकलन करने की पर मजबूर कर दिया है। विशेष रूप से अंतरिक्ष के अपने मानव मिशन के लिए। इसमें सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसरो ने पहले खुद कभी मानव मिशन पूरा नहीं किया है।
माना जा रहा है कि मानव मिशन के लिए लोगों को वायुसेना से चुना जाएगा और उन्हें अंतरिक्ष के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। ऐसे में इस पूरे मिशन के लिए भारतीय वायुसेना की तरफ से भी सहमति महत्वपूर्ण होगी। भले ही इसरो में अविश्वास जताने का कोई कारण नहीं हो लेकिन मानव जीवन के संभावित खतरे को लेकर कोई भी इस दिशा में सावधानी जरूर बरतेगा। गगनयान की समयसीमा खत्म होने में महज तीन साल का समय शेष है।
अभी तक इसके लिए अंतरिक्ष में जाने वाले संभावित लोगों का चयन नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि एक महिला समेत 10 लोगों को को इस मिशन के लिए चुना जाएगा। ये सभी लोग दो साल तक व्यापक प्रशिक्षण करेंगे। इनमें से भी अधिकतम तीन लोगों को अंतरिक्ष में 7 दिन के लिए भेजा जाएगा। इसके अलावा इस मिशन के लिए कई सबसे महत्वपूर्ण तकनीकों की अभी टेस्टिंग चल रही है।
चंद्रयान-3 में लग सकता है दो साल का वक्तः यह संभव है कि चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए इसरो यदि चंद्रयान-3 मिशन शुरू कर सकता है। हालांकि, इसके लिए इसरो को अन्य परियोजनाओं से लोगों को लेना होगा। नए मिशन में कम से कम दो साल का वक्त लग सकता है। इसका परिणाम होगा कि अन्य परियोजना की निर्धारित समय सीमा में बदलाव करना पड़ सकता है। विशेषकर अंतरिक्ष के मानव मिशन के साथ ऐसा हो सकता है।