अगर मोदी सरकार के सबसे पॉपुलर मंत्रियों की बात आती है तो उसमें एक नाम विदेश मंत्री एस जयशंकर का नाम जरूर आता है। आज विदेश मंत्री एस जयशंकर द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम, ‘एक्सप्रेस अड्डा’ में पहुंचे। यहां उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयनका से देश की कूटनीति से जुड़े मुद्दों को लेकर विस्तृत चर्चा की है।

इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों को लेकर कहा कि भारत ने इतिहास की झिझक को पीछे छोड़ दिया है क्योंकि भारत के लिए अमेरिका बिजनेस और टेक्नोलॉजी के लिहाज से अहम भागीदार है।

इस दौरान एस जयशंकर ने कहा कि हमने अतीत की एक गलती स्वीकार की जब भारत ने यूरोप के कुछ देशों पर ध्यान केंद्रित किया और ब्रुसेल्स के एकीकरण को पूरी तरह से समझ नहीं पाया। जयशंकर ने कहा कि जैसे-जैसे रणनीतिक रूप से भारत जागृत होता जा रहा है, साझेदारी की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं।

जापान के साथ बढ़े हैं भारत के संबंध

जापान के साथ भारत के संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जापान भले ही तकनीकी तौर पर सक्षम है लेकिन ऐतिहासिक कारणों से खुद को संयमित कर लिया है। ऑटो सेक्टर, मेट्रो रेल और अब बुलेट ट्रेन में जापान के साथ सहयोग बताते हुए जयशंकर ने कहा कि हमारे उनके साथ अच्छे संबंध हैं।

रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निजी संबंधों के चलते दोनों देशों के बीच रिश्ते ज्यादा मजबूत हुए हैं और कई मुद्दे आसानी से हल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुश्किल परिस्थितियों में, आप पार पाने और अपनी बात रखने में सक्षम होते हैं।

भारत चीन संबंधों पर कही ये बात

इसके अलावा भारत चीन संबंधों को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि वे बदल रहे हैं, हम बदल रहे हैं। हम संतुलन कैसे बना सकते हैं? विदेश मंत्री ने कहा कि रूस के साथ भारत के संबंध 1955 से स्थिर हैं, जबकि मॉस्को ने प्रमुख देशों के साथ उतार-चढ़ाव देखा है। उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि आप संबंधों को कैसे तलाशते हैं। रूस की बदली हुई दिशा में आप उनके साथ संबंधों को गहरा करने के लिए एक नया आधार ढूंढ रहे हैं।

LAC से जुड़े मामले को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेनाओं की मौजूदगी कम करना दोनों ही देशों के हित में है। उन्होंने कहा कि हमें उन समझौतों का पालन करना चाहिए जिन पर हमने हस्ताक्षर किए हैं। यह चीन के भी हित में है कि पिछले चार वर्षों में इस तनाव का समाधान हो। हम अभी भी एक उचित परिणाम खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो समझौतों का सम्मान करता हो।