भारत सरकार ने Covishield की 2 खुराकों के बीच का अंतराल बढ़ाने का फैसला एक्सपर्ट ग्रुप की रिपोर्ट के आधार पर लिया है। नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप (NEGVAC) ने वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान मिले वैज्ञानिक प्रमाणों पर गौर करने के बाद कहा, अंतराल बढ़ाने से वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। दोनों ग्रुपों की रिपोर्ट को मानते हुए सरकार ने कोविशील्ड की दूसरी डोज को पहले डोज के बाद 6-8 हफ्ते के अंतराल पर लगाने की गाइडलाइन जारी की। इससे पहले यह अंतराल 4-6 हफ्तों का था।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने NTAGI और NEGVAC के सुझावों को मान लिया है। और उसके बाद राज्यों को केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का सुझाव दिया है कि लाभार्थियों को कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज पहली डोज के 6-8 हफ्ते बाद के इस निर्धारित समय अंतराल के बीच लगाई जाए। हेल्थ सेक्रेट्री राजेश भूषण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा, अगर अंतराल 8 सप्ताह से ज्यादा बढ़ाया जाता है तो वैक्सीन असरदार नहीं रहेगी।
NTAGI के डॉ. एनके अरोड़ा के मुताबिक, अंतराल को 8 सप्ताह से ज्यादा बढ़ाने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। भारत में वैक्सीन की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है। उनका कहना है, हमने सारे डेटा पर निगाह डाली है। हमें नहीं लगता कि भारत में दो खुराकों के बीच का अंतराल 8 सप्ताह से ज्यादा करना उचित है। उनका कहना है कि यह अंतराल उन देशों में बढ़ाया जा सकता है जहां वैक्सीन की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध नहीं है। भारत इस मामले में बेहतरीन स्थिति में है। यहां वैक्सीन की भरपूर मात्रा उपलब्ध है।
डॉ. अरोड़ा कहते हैं कि अगर कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज 6-8 हफ्तों के बीच लगाई जाए तो सुरक्षा बढ़ जाती है, लेकिन यह 8 हफ्तों की निर्धारित अवधि के बाद नहीं होना चाहिए। मौजूदा समय में कोरोना के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं। उनका कहना है कि अगर दूसरी डोज का अंतराल 12 सप्ताह का होगा तो इस बीच कुछ और लोगों के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाएगी। उनका कहना है कि दोनों खुराकों के बीच अंतराल के बढ़ने से अगर एंटीबॉडीज ज्यादा बनने लग जाती हैं तो भी वह इसकी अनुशंषा नहीं करेंगे।
उनका कहना है कि ज्यादा एंटीबॉडीज बनने का मतलब यह नहीं है कि इससे ज्यादा सुरक्षा मिलने लगेगी। एंटीबॉडीज बढ़ने और बेहतर सुरक्षा के बीच कोई संबंध नहीं है। दोनों खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने से हेल्थ वर्कर्स को भी सुविधा होगी। वह और ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक दे सकते हैं। सरकार खुद भी यह महसूस करती है कि इससे उसे प्राथमिकता के आधार पर वैक्सिनेशन करने में आसानी होगी। अरोड़ा कहते हैं कि अब विकल्प मौजूद हैं और आप 28 से 56 दिनों में इसे ले सकते हैं।
कोविशील्ड सीरम इंस्टीट्यूट का भारतीय वर्जन AZD1222 है। इसे यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर AstraZeneca ने डेवलप किया है। इसके ग्लोबल ट्रायल के कुछ डेटा से पता चलता है कि अगर दोनों खुराकों के बीच के अंतराल को 12 सप्ताह तक बढ़ा दिया जाए तो वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा बढ़ जाती है। दूसरी तरफ यूएस, पेरू और चिली में किए गए ट्रायल की रिपोर्ट कहती है कि पहली खुराक के चार सप्ताह बाद दूसरी खुराक दी जाए तो वैक्सीन की क्षमता 79% तक होती है। यह रिपोर्ट सोमवार को जारी हुई।