मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान मोदी सरकार में केवल एक अनुभवी नेता ही नहीं, बल्कि बीजेपी के लिए एक मजबूत वोट बैंक साधने का काम भी करते हैं। इसी पृष्ठभूमि में इंडियन एक्सप्रेस ने आइडिया एक्सचेंज कार्यक्रम में उनसे विस्तृत बातचीत की।

सवाल 1. पीएम मोदी कहते हैं कि 2047 तक भारत विकसित देश बन जाएगा। इसमें कृषि की क्या भूमिका होगी?

जवाब: कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा। आज भी देश की लगभग 47% आबादी पूरी तरह खेती पर निर्भर है। कृषि न केवल देश की फूड सिक्योरिटी सुनिश्चित करती है, बल्कि अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है। पिछले कुछ वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है-2014–15 के मुकाबले लगभग 44% की बढ़ोतरी। चावल और गेहूं में भारत आत्मनिर्भर है, लेकिन दाल और तिलहन जैसी फसलों में अभी भी कुछ आयात करना पड़ता है। विकसित भारत के लक्ष्य को देखते हुए आने वाले समय में किसी भी आवश्यक खाद्य अनाज के लिए हमें विदेशी निर्भरता खत्म करनी होगी।

इसी दिशा में ICAR लगातार क्लाइमेट-रेज़िलिएंट और न्यूट्रिशन-रिच फसलों की नई किस्मों पर काम कर रहा है। पिछले एक दशक में लगभग 3,000 नए बीज विकसित किए जा चुके हैं। साथ ही, सैटेलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग के माध्यम से मौसम, फसल और कीट हमलों की सटीक जानकारी देने वाला एक मजबूत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।

सवाल 2. सरकार ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होगी। समीक्षा में क्या सामने आया?

जवाब: कृषि उत्पादन और उत्पादकता-दोनों में बढ़ोतरी हुई है। खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ता उछाल, MSP में बढ़ोतरी और रिकॉर्ड सरकारी खरीद ने किसानों की आमदनी पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। ICAR ने 30,000 किसानों पर अध्ययन किया, जिसमें कई स्थानों पर किसानों की आय दोगुनी पाई गई, जबकि कुछ जगहों पर यह पांच गुना तक भी बढ़ी।

हालांकि, भारत में खेतों का आकार छोटा होने के कारण चुनौतियां भी बहुत हैं। देश के लगभग 86% किसान छोटे और सीमांत जोत वाले हैं, इसलिए एक फसल खराब होने पर उनकी पूरी आय पर असर पड़ता है। इसके अलावा अच्छे बीज, उच्च गुणवत्ता वाले पेस्टीसाइड और फर्टिलाइज़र की कमी, बिचौलियों की भूमिका और नई तकनीक का सीमित उपयोग भी बड़ी चुनौतियां हैं। इसके बावजूद, समग्र रूप से किसानों की आय में वृद्धि दर्ज की गई है।

सवाल 3. क्या कृषि क्षेत्र में अभी भी बड़े सुधार हो सकते हैं?

जवाब: कृषि क्षेत्र में सुधार लगातार चल रहा है और अभी भी इसकी बड़ी गुंजाइश है। हर किसान को एक यूनिक किसान आईडी देने की योजना इसी दिशा में है। इस आईडी में उसकी जमीन, फसल, पैदावार और पशुधन से जुड़ी सारी जानकारी एक जगह उपलब्ध होगी। इससे फसल नुकसान का डेटा रिमोट सेंसिंग के माध्यम से तुरंत मिल सकेगा और मुआवजा देने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।

सरकार खेत से मार्केट तक फसल ले जाने के ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट, स्टोरेज और सप्लाई चेन को बेहतर बनाने पर भी विचार कर रही है। मार्केट इंटरवेंशन स्कीम और प्राइस सपोर्ट मैकेनिज़्म के ज़रिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर किसानों को नुकसान से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

सवाल 4. पराली जलाने पर आपकी क्या राय है?

जवाब: पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है, क्योंकि सरकार ने सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध करवाई हैं और जागरूकता भी बढ़ी है। पंजाब के मानसा जिले के एक गांव में पिछले 11 साल से पराली नहीं जलाई जा रही, और वहां के किसान दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं। केमिकल फर्टिलाइज़र के उपयोग में भी 30% की कमी देखी गई है। मध्य प्रदेश में पराली जलाने के कुछ मामले बढ़े हैं क्योंकि खेती का रकबा बढ़ा है, लेकिन किसानों को जागरूक करने के प्रयास जारी हैं।

सवाल 5. बीजेपी अध्यक्ष चुनाव में देरी क्यों हो रही है?

जवाब: पिछले दो–तीन वर्षों में लगातार चुनावों का दबाव रहा है। एक के बाद एक राज्यों के चुनाव, फिर लोकसभा, फिर अन्य राज्यों के चुनाव—इसी व्यस्तता के कारण पार्टी अध्यक्ष चुनाव पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा सका। यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हों और हर पांच साल में निश्चित रूप से हों, तो देश के विकास पर और अधिक ध्यान दिया जा सकेगा।

सवाल 6. भोपाल में आपने कहा था कि 2023 में मैं मुख्यमंत्री बन सकता था, लेकिन पार्टी के निर्णय को स्वीकार किया। सफाई क्यों देनी पड़ी?

जवाब: मैंने कभी यह नहीं कहा कि मेरी कोई व्यक्तिगत उम्मीद थी। लोग ऐसी बातें कर रहे थे, मैं बस उन्हें मोटिवेट कर रहा था। बीजेपी ने मुझे छह बार सांसद, चार बार मुख्यमंत्री और कई बार विधायक बनाया है-ऐसी स्थिति में शिकायत करना मेरे लिए सही नहीं होता। जीवन में कभी-कभार बदलाव स्वीकार करना होता है, और मैंने भी पार्टी के फैसले को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया।

सवाल 7. महिलाओं के लिए कैश स्कीम को विपक्ष चुनावी रणनीति कहता है। आप क्या मानते हैं?

जवाब: लंबे समय तक इस देश में महिलाओं को उनका हक नहीं मिला। मैंने 2007 में लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की थी ताकि बेटियों के जन्म और शिक्षा को प्रोत्साहन मिले। इसके बाद स्थानीय निकाय चुनावों में 50% आरक्षण भी हमने दिया। कई कदम हमने पहले उठाए थे, लेकिन नीतीश जी के ऐलान पब्लिक की अटेंशन में आए। मध्य प्रदेश में 4 लाख करोड़ के बजट में से 16,000 करोड़ महिलाओं पर खर्च करना केवल राजनीति नहीं, बल्कि समाज सुधार की दिशा में कदम है। आर्थिक मजबूती ने महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाया है।

सवाल 8. क्या आपका नाम बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ में था?

जवाब: मेरे साथ इस विषय पर किसी ने भी चर्चा नहीं की। मैं एक कार्यकर्ता हूं और मेरा लक्ष्य अपने काम को और बेहतर बनाना है—किसानों की स्थिति सुधारना, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाना।

सवाल 9. क्या बीजेपी में ‘कांग्रेसीकरण’ हो रहा है, जैसा कुछ लोग कहते हैं?

जवाब: मैं ऐसा नहीं मानता। पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठकें आवश्यकता के अनुसार होती हैं और सभी महत्वपूर्ण फैसले सामूहिक मंथन के बाद लिए जाते हैं। बीजेपी वह पार्टी है जिसकी बूथ यूनिट हर महीने मिलती है, जिला और ब्लॉक स्तर पर नियमित मीटिंग होती हैं। ऐसा संगठित ढांचा किसी भी अन्य दल में नहीं है।