Jewar Airport Land Scams: एनसीआर क्षेत्र के जेवर में बन रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट की वजह से रियल स्टेट के कारोबार में भी तेजी आई है। पिछले कुछ साल में यहां जमीन की खरीद फरोख्त में काफी उछाल देखा गया है। एक तरफ जहां रियल एस्टेट का मार्केट बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर जमीन के नाम पर धोखाधड़ी भी बढ़ गई है। जालसाज किसी भी जमीन के फर्जी मालिक बनकर उसे खरीदने आए लोगों को बेच देते हैं, जबकि बाद में लोगों को पता चलता है कि वे एक घोटाले का शिकार हो गए हैं।

इस मामले पर ग्रेटर नोएडा पुलिस के डिप्टी कमिश्नर साद मियां खान ने बताया है कि पिछले दो साल में उन्होंने जमीन के फर्जी सौदों में शामिल लोगों के खिलाफ कम से कम 20 मामले दर्ज किए हैं। उन्होंने बताया है कि एयरपोर्ट के पास प्रॉपर्टी खरीदने के नाम पर लोगों के साथ ठगी को लेकर अब औसतन हर महीने ही एक FIR दर्ज हो रही है। दूसरी ओर इस मामले में गौतम बुद्ध नगर पुलिस का कहना है कि इनमें से प्रत्येक मामला धोखाधड़ी का बड़ा केस साबित हो रहा है क्योंकि इसमें नकली प्लॉट से लेकर छेड़छाड़ किए गए नक्शे और एक ही प्लॉट को कई लोगों को बेचे जाने तक के मामले शामिल हैं।

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फर्जी मालिक बनकर बेच दी जमीन

ऐसा एक मामला नोएडा के सेक्टर 49 में रहने वाले 40 साल के गौरव शर्मा का है। उन्होंने 6 दिसंबर 202 को शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें और उनके तीन बिजनेस पार्टनर्स को 15 लोगों के एक ग्रुप ने धोखा दिया। जनवरी में गौरव और उनके पार्टनर गोपेश रोहतगी, यतीश अग्रवाल और शिल्पी अग्रवाल, नोएडा के प्रॉपर्टी डीलर सचिन भाटी और रविंदर शर्मा से मिले थे, जिन्होंने कथित तौर पर उन्हें बताया था कि हवाई अड्डे के पास 200 हेक्टेयर कृषि भूमि बिक्री के लिए उपलब्ध है। गौरव ने कहा कि एयरपोर्ट से करीबी के चलते हमें लगा कि यह सौदा अच्छा है, क्योंकि वहां कीमतें जल्दी ही बढ़ जाएंगी।

गौरव ने अपने साथ ही जालसाजी को लेकर कहा, “उन्होंने हमें बताया कि इस ज़मीन का एक हिस्सा कुछ किसानों का है लेकिन इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। मार्च 2022 से जुलाई 2022 के बीच उन्होंने हमारे नाम पर लगभग 24 ज़मीन के सौदे दर्ज करने का नाटक किया लेकिन उसी साल सितंबर में जब हमने उनसे राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने के लिए कहा, तो उन्होंने बहाने बनाने शुरू कर दिए। तब तक हम उन्हें 24 करोड़ रुपये से ज़्यादा चुका चुके थे, जो तय की गई राशि का आधा था। फिर हमने ज़मीन देखने का फ़ैसला किया और पता चला कि वह ज़मीन कभी थी ही नहीं।” इस मामले में एक्शन लेते हुए सेंट्रल नोएडा पुलिस ने मास्टरमाइंड रविंदर शर्मा को जुलाई 2025 में गिरफ्तार किया था।

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खरीदारों के सामने दिखाए फर्जी वकील, किसान और दस्तावेज

जानकारी के मुताबिक, रियल एस्टेट फर्म चलाने वाले ज्यादातर किसान और ग्राम पंचायत सदस्य हैं, जिनकी जमीन हवाई अड्डे के लिए अधिग्रहित की गई थी। जालसाजी का शिकार हुए गौरव ने कहा, “रविंदर शर्मा और अन्य लोगों ने हमें बताया कि उनके कुछ राजनीतिक परिवारों से संबंध हैं। हमने उन पर विश्वास कर लिया। यह सब इतनी सुनियोजित योजना थी कि उनकी हर बात सच लग रही थी। हमें पेश किए गए रजिस्ट्रेशन और बैंक के दस्तावेज़ों से लेकर ‘किसानों’ और ‘वकीलों’ तक सब कुछ फर्जी ही निकला।”

जेवर एयरपोर्ट से लेकर 4 किलोमीटर दूर सबोटा मुस्तफाबाद स्थित अपने कार्यालय में किसान से रियल एस्टेट एजेंट बने 40 वर्षीय सतीश कुमार कहते हैं कि लोगों को ठगने वाले “बाहरी लोग हैं। उन्होंने कहा, “हम यहां किसान रहे हैं, अगर हम धोखाधड़ी करेंगे, तो पकड़े जाएंगे। लोग हमें जानते हैं।” उन्होंने किशोरपुर गांव के एक किसान रियासत अली के साथ मिलकर 2020 में अपना व्यवसाय, सिग्नेचर रियल्टी, शुरू किया था।

आसमान छू रही हैं जमीन की कीमतें

2017 में स्थापित जेवर लैंड सर्विस के 58 वर्षीय वेद प्रकाश शर्मा बताते हैं कि 2012 से जब जेवर में हवाई अड्डे की परियोजना के लिए भूमि सर्वेक्षण शुरू हुआ था, तब से इस इलाके में संपत्ति की कीमतें आसमान छू रही हैं। वे कहते हैं कि उन दिनों 1,000 गज या वर्ग गज की कीमत 4 लाख रुपये थी; अब यह बढ़कर 35 लाख रुपये हो गई है। कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है कि ज़मीन हाईवे के सामने है या नहीं एयरपोर्ट या मेन रोड से कितनी दूर है। इस मामले में पुलिस का कहना है कि जेवर एयरपोर्ट का असर न केवल जेवर और गौतम बुद्ध नगर में बल्कि आसपास के जिलों गाजियाबाद, बुलंदशहर और अलीगढ़ में भी जमीन की कीमतों पर पड़ा है जिसके परिणामस्वरूप घोटाले का दायरा इन क्षेत्रों तक भी फैल गया है।

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मिडिल नोएडा के डिप्टी पुलिस कमिश्नर शक्ति मोहन अवस्थी ने कहा कि ये धोखेबाज़ फ़र्ज़ी वेबसाइट बनाकर और विज्ञापन लगाकर पीड़ितों को फंसाते हैं। हवाई अड्डे की सीमा से सटे ज़िलों में यह समस्या आम है। यह एक धोखाधड़ी जेवर में जमीन की हाई डिमांड पर आधारित है। अधिकारियों का कहना है कि कृषि भूमि के लिए सर्किल रेट अगले संशोधन में मौजूदा 900 रुपये प्रति वर्ग मीटर से बढ़कर 1,550 रुपये करने का प्रस्ताव है, यह 70 प्रतिशत की वृद्धि है जो इस क्षेत्र में बढ़ते रियल एस्टेट बाजार का संकेत है।

अलीगढ़ के आस-पास भी खूब हो रही धोखाधड़ी

जेवर से आगे की बात करें तो 19 जुलाई को अलीगढ़ पुलिस ने 60.89 करोड़ रुपये से ज़्यादा के ज़मीन घोटाले का पर्दाफ़ाश किया था। उनकी जांच में पता चला कि नोएडा स्थित जेएसएम प्रो इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि कथित तौर पर रियल एस्टेट डेवलपर बनकर किसानों, छोटे निवेशकों और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों को ठग रहे थे।

इसको लेकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी। अलीगढ़ के पुलिस अधीक्षक अमृत जैन ने कहा कि उनकी टीम ने संभावित जमीन खरीदारों के रूप में पेश होकर रियल एस्टेट फर्म द्वारा आयोजित एक सेमिनार में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा, “हमें पता चला कि कंपनी हर वीकेंड एक कैंप आयोजित करती है। हमने इनमें से एक कैंप का दौरा किया और एक विस्तृत व्यवस्था का पता चला। वे भविष्य की टाउनशिप की कल्पना के साथ एक छेड़छाड़ किए गए नक्शे पर YEIDA के अधिसूचित भूखंडों को प्रदर्शित करते थे लेकिन ये भूखंड उनके नहीं थे।

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नोएडा की एक निजी कंपनी में 40 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर जितेंद्र प्रसाद सिंह भी ठगी का शिकार हुए लोगों में शामिल थे। मई 2022 में जितेंद्र की मुलाकात एक परिचित किरण से हुई, जिसने उन्हें जेवर हवाई अड्डे से 33 किलोमीटर दूर अलीगढ़ के गोरौला गांव के पास जेएसएम प्रो इंफ्राटेक द्वारा विकसित किए जा रहे प्लॉटों के बारे में बताया था। मूल रूप से बिहार के सारण जिले के रहने वाले जितेंद्र को एनसीआर में प्लॉट का मालिक होना बेहतर भविष्य की राह लग रहा था। उनका जेएसएम के प्रतिनिधियों से कराया गया, जो नोएडा के सेक्टर 53 स्थित एक कार्यालय से संचालित होता था।

बिहार के मजदूर को सपना दिखाकर लूटा

जितेंद्र सिंह ने बताया कि एक नक्शे पर घंटों की बातचीत के बाद कथित तौर पर सौदा तय हो गया था। उन्होंने मुझे नक्शे में ज़मीन का एक टुकड़ा दिखाया। यह 50 वर्ग गज का प्लॉट था जिस पर D-648 लिखा था और जिसकी कीमत 3.15 लाख रुपये थी। जितेंद्र ने कंपनी के बैंक खाते में 35,000 रुपये ट्रांसफर किए और 15 जुलाई, 2022 को बुकिंग एग्रीमेंट प्राप्त किया। वे कहते हैं कि पहली किस्त के रूप में अतिरिक्त 6,300 रुपये का भुगतान करने के बाद उन्हें जमीन देखने की इच्छा हुई तो पता चला कि ऐसा तो कोई प्लॉट है ही नहीं

जालसाजी का शिकार हुए जितेंद्र ने कहा, “मैंने खेतों में काम कर रहे लोगों को देखा और उनसे कंपनी के बारे में पूछा और पूछा कि क्या उनके यहां प्लॉट हैं। मैंने उनसे कंपनी के बारे में पूछा और पूछा कि क्या उनके यहां प्लॉट हैं। उन्होंने बताया कि मेरे जैसे कई लोग आकर ऐसे प्लॉट के बारे में पूछताछ कर रहे हैं जो हैं ही नहीं। अप्रैल में जितेंद्र की शिकायत के आधार पर पुलिस ने धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी सहित अन्य से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में एसपी जैन ने कहा कि इस फर्म के सदस्यों के खिलाफ कम से कम 25 एफआईआर दर्ज हैं। हमने पाया कि वे 2020 से काम कर रहे हैं।

अप्रैल में जितेंद्र सिंह की शिकायत के आधार पर पुलिस ने धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी सहित अन्य से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की। एसपी जैन ने कहा कि इस फर्म के सदस्यों के खिलाफ कम से कम 25 एफआईआर दर्ज हैं। हमने पाया कि वे 2020 से काम कर रहे हैं। 16 जून को फर्म के वरिष्ठ सदस्यों अजीत कुमार रमन, श्रवण कुमार, और प्रवीण कुमार पटेल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी में राहत मिल गई थी।

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