Uttarkashi Exclusive Ground Report: उत्तरकाशी के धराली गंव में बादल फटने से हुई तबाही के बाद प्रभावित लोगों के लिए राहत बचाव का कार्य अभी भी जारी है। सातवें दिन जिला प्रशासन और एनडीआरएफ ने कहा कि एक शव बरामद किया गया है, जबकि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने शवों का आंकड़ा दो बताया है। तबाही के बाद धराली में जितनी दूर तक नजर जाती है, वहां तक दलदल ही दिख रहा है। कीचड़ में फंसी गाड़ियों के अलावा दलदली जमीन में एक होटल की इमारत धंसी हुई है जिसका एक फ्लोर बाहर निकला नजर आ रहा है।

सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन के तीन क्षेत्रों में बंटकर 200 से ज्यादा कर्मचारी जुटे हुए हैं। ये बचावकर्मी अब लकड़ी और टिन की चादरों के सहारे कीचड़ में काम कर रहे हैं। वहीं लापता लोगों की मदद के लिए गांव में ही हेल्प डेस्क भी बनाया गया है जिससे उन लापता लोगों को ढूंढने में मदद भी मिल सके। हेल्प डेस्क के पीछे शिकायत का एक टेम्प्लेट चिपका हुआ है। वहीं सब-इंस्पेक्टर संतोष भट्ट और कॉन्स्टेबल पुष्पा 5 अगस्त को धराली में आई बाढ़ के पीड़ितों से जुड़े लोगों को एक कतार में खड़े होने के लिए रास्ता दिखा रहे हैं।

आज की बड़ी खबरें

कैसे चल रहा धराली में रेस्क्यू ऑपरेशन?

सर्च ऑपरेशन के सातवें दिन जिला प्रशासन और NDRF ने कहा कि एक शव बरामद हुआ है, जबकि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार यह संख्या दो है। धराली में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना ने बाढ़ की फुटेज, शव खोजी कुत्तों की प्रतिक्रिया और उनके द्वारा तैनात जीवन रक्षक उपकरणों के आधार पर काम कर रहे हैं। ये डिटेक्टर तीन मीटर की गहराई तक शवों के निशान दिखाते हैं लेकिन अनुमान है कि मलबे में शव 20 मीटर गहराई मे भी हो सकते हैं। बात शव खोजने वाले कुत्तों की करें तो वो भी 4 मीटर से ज़्यादा की पर जाकर गंध नहीं पहचान पाते हैं।

पुलिस ने तैयार की लापता लोगों की लिस्ट

अहम बात यह है कि पहली बार पुलिस ने लापता या मलबे में फंसे लोगों की लिस्ट तैयार की है। लापता 68 लोगों में से आठ धराली, 25 नेपाल, 13 बिहार, आठ उत्तर प्रदेश, सात राजस्थान, एक हरियाणा और छह उत्तराखंड के अन्य हिस्सों से हैं। पुलिस के अनुसार पिछले छह दिनों में परेशान रिश्तेदारों से मिल रही कॉल के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है।

‘मेरे कई साथी नदी में बह गए और अभी भी वह लापता’, सेना के जवान ने बयां किया धराली का खौफनाक मंजर

उत्तरकाशी और धराली में स्थापित हेल्प डेस्क परिवारों को लापता लोगों के बारे में पुष्टि के लिए दस्तावेज़ जमा करने के लिए भी हैं। अब तक हेल्प डेस्क को 18 लापता लोगों के आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से आठ उत्तराखंड से, नौ नेपाल से और एक उत्तर प्रदेश से है। पीड़ितों में सबसे बुजुर्ग व्यक्ति की आयु 60 साल है। वहीं सबसे छोटा एक साल का बच्चा भी है। अधिकारियों का कहना है कि वह अपने माता-पिता से बिछड़ गया था।

नेपाल के मजदूर भी हैं कतार में शामिल

नेपाल और भारत के विभिन्न राज्यों से आए मज़दूर परिवारों की डेस्क पर कतार लगी हुई थी। नेपाल के कैलाली से धन सिंह और प्रकाश, अपने भाई रमेश और उसकी पत्नी प्रिया उस होटल के मलबे की चपेट में आ गई थीं। सब इंस्पेक्टर संतोष भट्ट के पास सैकड़ों A4 साइज के पन्ने हैं। इससेमें पीड़ितों के नाम से लेकर उनकी तस्वीरें तक अटैच हैं।

बारिश हो रही थी, लोग चिल्ला रहे थे…’, उत्तरकाशी में लोगों ने मौत को पहाड़ से लुढ़कते देखा

फोन पर बात करते-करते हुई पिता की मौत

कतार में एक पीड़ित गोविंद भी हैं, जिनके पिता लक्ष्मण बाढ़ में उस समय मारे गए, जब वे उनसे फोन पर बात कर रहे थे। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि गांव के लापता स्थानीय लोगों की संख्या की पुष्टि हो गई है और उन्हें और परिवारों के आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, “उत्तरकाशी ज़िले के आपातकालीन संचालन केंद्र में एक और हेल्प डेस्क है। एक बार जब सभी नेटवर्क प्रदाताओं के सिग्नल वापस आ जाएंगे, तो हमें बेहतर जानकारी मिल सकेगी।” नेपाल के जिन मज़दूरों के लापता होने की आशंका है, उनमें से एक, नीम बहादुर सिंह, बाढ़ के समय कल्प केदार मंदिर के पास थे। उस जगह की ओर इशारा करते हुए उनके रिश्तेदार नरेंद्र सिंह कहते हैं, “वह वहीं थे। मैंने उन्हें बाढ़ में बहते देखा था।”

इस दौरान यह भी पूछा गया कि क्या सात दिन दफन रहने के बाद शव की पहचान हो भी पाएगी। इस पर पुलिस अधिकारी बोलती है कि वे बस प्रक्रिया का पालन कर रही हैं। प्रकाश और धन सिंह का कहना है कि अगर दंपत्ति के शव नहीं मिले, तो वे 15 दिन में चले जाएंगे, क्योंकि हमें लगता है कि फिर कभी नहीं मिलेंगे।

महिलाओं को पैसे बांटते दिख गए पप्पू यादव, वायरल वीडियो पर सफाई भी आई