केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भारत में आतंकवादी तत्वों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे और कम चर्चित मोबाइल एप्लिकेशन को रोकने के लिए एक्शन लेने को कहा है। अमित शाह ने गृह मंत्रालय की साइबर और सूचना सुरक्षा (CIS) डिवीजन को इस मुद्दे का विश्लेषण करने और ऐसे ऐप्स पर प्रतिबंध या और क्या एक्शन लिए जा सकते हैं उस पर सिफारिश देने को कहा है।
जानकारी के मुताबिक, अमित शाह ने जुलाई के अंत में नई दिल्ली में इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन-2025’ में ये निर्देश जारी किए थे। एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने के बाद सीआईएस केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय कर रहा है और उनसे ऐसे मोबाइल ऐप्स के बारे में पूछताछ कर रहा है, जिनका इस्तेमाल आतंकी तत्व कम्यूनिकेशन के लिए कर रहे हैं।”
अमित शाह ने मोबाइल ऐप्स पर एक्शन के दिए निर्देश
बैठक में, शाह ने सीआईएस को इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ मिलकर आईबी के आतंकवाद-रोधी ग्रिड, मल्टी-एजेंसी सेंटर (मैक) की तर्ज पर एक मल्टी-एजेंसी प्लेटफ़ॉर्म बनाने के लिए भी कहा। अधिकारी ने कहा, “गृह मंत्रालय को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, डीआरडीओ, रक्षा और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक मल्टी-एजेंसी प्लेटफ़ॉर्म बनाना चाहिए ताकि एन्क्रिप्टेड ऐप्स से उत्पन्न चुनौतियों की पहचान करने और तकनीकी, कानूनी समाधान सुझाने के लिए चर्चा की जा सके।”
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ये निर्देश पहलगाम आतंकी हमले की जांच के दौरान केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दिए गए निष्कर्षों के बाद जारी किए गए हैं। एक सूत्र ने बताया कि जांचकर्ताओं ने पाया कि जम्मू-कश्मीर में कई स्थानीय सक्रिय कार्यकर्ता ऐसे ऐप्स पर निर्भर थे। अप्रैल में अमेरिका में एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए गैंगस्टर से आतंकवादी बने हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया के मामले का हवाला देते हुए एक एनआईए अधिकारी ने कहा कि आरोपी अक्सर कानून प्रवर्तन से बचने के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप्स का इस्तेमाल करते थे।
आतंकियों द्वारा इस्तेमाल होने वाले कम लोकप्रिय मोबाइल ऐप्स पर हो कार्रवाई
अधिकारी ने कहा, “कई मामलों में एनआईए ने पाया है कि विदेशी आरोपी नए-नए तरीके अपनाते हैं। इसमें धन और हथियारों का ट्रांसपोर्टेशन ऐसे तरीकों से किया जाता है जिनसे सोर्स छिपाए जाते हैं। वे और उनके साथी संपर्क में रहने और पकड़े जाने से बचने के लिए सुरक्षित संचार माध्यमों—इंस्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप, जेंगी और बीआईपी ऐप्स का इस्तेमाल करते थे।”
चंडीगढ़ में एक सेवानिवृत्त पंजाब पुलिस अधिकारी के घर पर 2024 में हुए ग्रेनेड हमले के आरोपपत्र में एनआईए ने कहा कि आरोपी रोहन मसीह ने गवाहों के सामने खुलासा किया कि वह इंस्टाग्राम के माध्यम से हैप्पी पासिया से जुड़ा था और बाद में उसने जेंगी मैसेंजर, बीआईपी मैसेंजर, व्हाट्सएप और स्नैपचैट पर उससे संवाद किया, जो सभी एन्क्रिप्टेड हैं और जिनके सर्वर भारत के बाहर हैं।
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