EX CJI DY Chandrachud: भारत के पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अपने फैसलों की वजह से काफी चर्चित रहे हैं। उनका सुप्रीम कोर्ट में बतौर चीफ जस्टि 2 साल का कार्यकाल रहा। डीवाई चंद्रचूड़ से जब यह सवाल किया गया कि क्या रिटायर हो जाने के बाद जजों को पॉलिटिक्स में एंट्री करनी चाहिए तो उन्होंने बेहद ही सटीक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि समाज पूर्व जजों को कानून के संरक्षक के तौर पर देखता है।

पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से जब पूछा गया कि क्या वह कभी पॉलिटिक्स में एंट्री करेंगे तो उन्होंने कहा कि 65 साल की उम्र के बाद में वह ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिसकी वजह से उनके काम और ज्यूडिशियल सिस्टम की ईमानदारी पर शक हो। उन्होंने एनडीटीवी के संविधान@75 सम्मेलन में कहा, ‘समाज आपको तब भी न्यायाधीश के रूप में देखता है, जब आप पद छोड़ देते हैं। इसलिए, जो चीजें अन्य नागरिकों के लिए ठीक हैं, समाज अपेक्षा करता है कि न्यायाधीशों के लिए भी वही चीजें ठीक नहीं होंगी, भले ही वे पद से हट जाएं।’

समाज में पैदा होती है एक धारणा- डीवाई चंद्रचूड़

दो साल तक बतौर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का कार्यकाल पूरा करने वाले डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह अतीत में राजनीति में शामिल होने वाले जजों पर कोई भी आरोप नहीं लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हर एक जज को तय करना होता है कि रिटायरमेंट के बाद उसके द्वारा लिया गया फैसला इस बात पर असर डालेगा या नहीं कि लोग जजों के तौर पर किए गए उनके काम का मूल्यांकन किस तरह करेंगे। अगर आप रिटायरमेंट के तुरंत बाद पॉलिटिक्स ज्वाइन करते हैं तो इससे समाज के सदस्यों में एक धारणा पैदा हो जाती है।

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जजों के भी बाकी लोगों की तरह अधिकार- डीवाई चंद्रचूड़

पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीश भी अन्य नागरिकों की तरह अपने निजी अधिकारों के हकदार हैं। लेकिन समाज उनसे उच्च मानकों का पालन करने की अपेक्षा करता है। पूर्व सीजेआई ने आगे कहा कि जजों का व्यवहार और लाइफस्टाइल समाज में न्यायपालिका के प्रति विश्वास बनाए रखना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि न्यायपालिका के अंदर इस बात पर सहमति होनी चाहिए कि क्या है और क्या नहीं।