पीएन प्रकाश मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस थे। वो तकरीबन एक दशक तक हाईकोर्ट में रहे। इसी साल जनवरी में वो रिटायर हुए। जब वो वकील थे तो उन्हें क्रिमिनल लॉ का माहिर माना जाता था। उनकी ये खूबी ही उनके मद्रास हाईकोर्ट तक ले गई। लेकिन जज बनने का सफरनामा खासा दुश्वारी भरा था। राजनीतिक बैक ग्राउंड आड़े आ गई और बार ने अड़ंगा लगा दिया। लेकिन आखिरकार वो हाईकोर्ट के जस्टिस बन ही गए।
बनना चाहते थे डॉक्टर, बनना पड़ गया वकील
पीएन प्रकाश की ख्वाहिश डॉक्टर बनने की थी। वो इसके लिए जीजान से जुटे भी थे। लेकिन 1977 में इंदिरा गांधी ने चुनाव का ऐलान कर दिया। वो तब 12वीं के छात्र थे। चुनाव की वजह से रिजल्ट में देरी हुई। जब ये आया तो सारे मेडिकल कॉलेज भर चुके थे। वो चाहकर भी डॉक्टर नहीं बन सके। उसके बाद उनकी थिएटर में रुचि हुई और फेमस नाटककार राधा रवि के संपर्क में आए। उन्होंने बताया कि वो लॉ कॉलेज में नाटकों का मंचन कर चुके हैं। उनकी सलाह पर पीएन प्रकाश लॉ कॉलेज पहुंच गए। नाटकों में भाग लेते लेते 1984 में वो एक लॉ ग्रेजुएट बन गए।
मंदिर आंदोलन में गए जेल, शादी हुई तो नहीं थे परिवार के लिए पैसे
लेकिन उसके बाद का दौर दुश्वारी भरा था। पीएन प्रकाश बीजेपी और संघ से जुड़े। अटल बिहारी वाजपेयी उनके प्रेरणास्रोत थे। इसी दौरान रामजन्म भूमि प्रकरण शुरू हुआ और पीएन प्रकाश को जेल भी जाना पड़ा। उसके बाद शादी हुई और फिर परिवार बना। उस समय तक वो केवल एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे।
रोजी कमाने के लिए गए कोर्ट तो बस स्टाप पर बदल गई जिंदगी
पैसा था नहीं तो आमदनी के लिए कोर्ट का रुख करना पड़ा। बस से हाईकोर्ट जाया करते थे। इसी दौरान उन पर राजीव गांधी हत्या मामले से जुड़े दिग्गज वकील और चीफ पब्लिक प्रासीक्यूटर पी राजामनिकम की नजर पड़ी। वो रोज उन्हें बस स्टाप पर देखा करते थे। राजामनिकम क्रिमिनल लॉ के माहिर थे। उन्होंने पीएन प्रकाश को देखा। फिर उनकी इंटेलीजेंस रिपोर्ट मंगवाई और अपने साथ लगा लिया। वो एडिशनल पब्लिक प्रासीक्यूटर बने और राजामनिकम के निधन के बाद पब्लिक प्रासीक्यूटर। एक समय सरकारी फाइलों से मन भर गया तो दो दोस्तों के साथ लॉ फर्म शुरू की।
फिर कुछ इस तरह से बन गए मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस
इसी दौरान हाईकोर्ट के दो जस्टिस रिटायर हुए। वहां क्रिमिनल लॉ में माहिर वकील की जरूरत थी। पीएन प्रकाश का नाम प्रपोज किया गया। उन्होंने अपने बायो में कुछ भी नहीं छिपाया। ये भी बताया कि वो बीजेपी से जुड़े थे और मंदिर आंदोलन में जेल भी गए। लेकिन बार अड़ गई और मामला फंस गया। लेकिन उसी दौरान सूबे में कांग्रेस की सरकार आ गई। उसके बाद उनके नाम वाली फाइल हर जगह से क्लीयर हुई और वो जस्टिस बन गए।