समुद्र सुरक्षा के मुद्दे पर भारत और यूरोपीय देशों के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में बंगाल की खाड़ी की स्थिति रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हो रही है। हाल के वर्षों में फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी और इटली जैसे कई प्रमुख यूरोपीय देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है।
हिंद महासागर की समुद्रिक स्थिति अथवा समुद्री भूगोल में यूरोप में समान विचारधारा वाले सहयोगियों के साथ भारत के संबंध मजबूत हुए है। नई दिल्ली की सुरक्षा और रणनीतिक हितों की गणना के लिए अहम बंगाल की खाड़ी का क्षेत्र भारत और यूरोपीय सहयोगियों के बीच संबंधों की दृष्टि से हाशिए पर ही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की बंगाल की खाड़ी दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी भी है। बंगाल की खाड़ी इस क्षेत्र के संदर्भ में तेजी से आर्थिक और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के अहम क्षेत्र के रूप में उभर रही है।
भू-राजनीति का अहम हिस्सा
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती हुई भू-राजनीति को आकार देने में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र तेजी से एक महत्त्वपूर्ण थिएटर अर्थात हिस्सा बनकर उभरा है। यह भारत और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ने वाला क्षेत्र है। अर्थात ऐसी दो धुरियां, जिसके चारों ओर हिंद-प्रशांत की भू-राजनीति आकार लेती है। हिंद महासागर में भारत और थाईलैंड के बीच बंगाल की खाड़ी स्थित है, जबकि बांग्लादेश, म्यांमा और श्रीलंका जैसे देश इस क्षेत्र के प्रमुख तटीय देश है।
ये देश एक बड़े वैश्विक बाजार और अर्थव्यवस्था को अपने आप में समेटे हुए बैठे हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की बंगाल की खाड़ी इस क्षेत्र के संदर्भ में तेजी से आर्थिक और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के अहम क्षेत्र के रूप में उभर रही है। ऐसे में अब बंगाल की खाड़ी को लेकर भारत की ओर से उठाए जाने वाले कदम अथवा उसके सहयोगियों के साथ संवाद को तेजी से भारत के हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर दृष्टिकोण के प्रमुख चालक के रूप में देखा जा रहा है।
भारत ने हाल ही में इस क्षेत्र में एक क्षेत्रीय समूह क्वाड, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल है, के साथ अपने नौसैनिक संबंधों को मजबूत किया है। ऐसे में यह बात हिंद-प्रशांत संदर्भ में इस क्षेत्र के व्यापक महत्त्व को उजागर करती है।इसके विपरीत, बंगाल की खाड़ी का क्षेत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यूरोप की भागीदारी के मामले में अब भी हशिए पर ही दिखाई देता है।
सामरिक महत्त्व और वैश्विक बाजार
यूरोप की रणनीतिक गणना में बंगाल की खाड़ी कोई नया समुद्रिक क्षेत्र अथवा हिस्सा नहीं है। ऐतिहासिक रूप से, यूरोपीय ताकतों ने जब बंगाल की खाड़ी से इस क्षेत्र में अपनी पहुंच स्थापित की थी तब ही इस क्षेत्र को वैश्विक बाजारों से जुड़ने का अवसर हासिल हुआ था। हाल ही में, हिंद-प्रशांत को एक एकीकृत स्थान के रूप में स्वीकृत किए जाने के साथ ही यूरोप अब इस क्षेत्र में बड़ी तेजी से अपने व्यापार, संपर्क और अंतत: समुद्री सुरक्षा पर केंद्रित हितों को देखने लगा है।
किसी जमाने में इस क्षेत्र में एक औपनिवेशिक शक्ति होने के नाते फ्रांस अब खुद को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थानीय निवासी की शक्ति के रूप में देखे जाने की कोशिश कर रहा है। इसी वजह से वह क्षेत्र के भौगोलिक विस्तार के साथ अपनी सामरिक गणना को रेखांकित करना चाह रहा है। इसे देखते हुए यह तर्क दिया जा सकता है कि हिंद-प्रशांत में व्यापार और संपर्क पर बढ़ते ध्यान की वजह से ही यूरोपीय सहयोगी, बंगाल की खाड़ी पर ध्यान केंद्रित करेंगे, ताकि वे क्षेत्रीय तटीय देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकें। इस बात को ध्यान में रखते हुए भी यूरोपीय सहयोगियों को इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी होगा।
समुद्री सुरक्षा की प्राथमिकता
भारत के अधिकांश आर्थिक, सांस्कृतिक और वैचारिक आदान-प्रदान बंगाल की खाड़ी के माध्यम से ही सुगम हो सके हैं। आज भी पूर्वी तट पर भारत की समुद्री सीमाएं भारत के बढ़ते समुद्री व्यापार की दृष्टि से अहम हैं। हिंद महासागर में भारत और चीन के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज होने से बंगाल की खाड़ी के भारत के लिए अहम क्षेत्र के रूप में उभरने की संभावना है।
चीन की भारत के तटीय पड़ोस विशेषत: श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार में विकासात्मक परियोजनाओं में भागीदारी ने नई दिल्ली की चिंताओं को बढ़ा दिया है। इसी वजह से भारत के लिए समुद्री सुरक्षा तत्काल प्राथमिकता बन गई है। भारत ने अब अपने समुद्री पड़ोस में अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिए नौसैनिक कूटनीति को एक प्रमुख उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
दूसरे, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक क्षमता इस क्षेत्र के साथ इसके यूरोप के संबंध पुख्ता करने की कोशिशों के केंद्र में है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते आर्थिक, जनसांख्यिकीय और राजनीतिक वजन के कारण यूरोपीय संघ ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को ‘अहम’ क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया है।
केंद्र में आसियान
भारत ने अपने हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण में महत्त्वपूर्ण रूप से आसियान को केंद्र में रखा है। ऐसे में बंगाल की खाड़ी को दक्षिण पूर्व एशिया के साथ जुड़ने में ऐतिहासिक सांस्कृतिक संबंधों और हाल ही में भारत द्वारा स्थापित सामरिक पूरकताओं के कारण एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र के रूप में देखा जाना अनिवार्य हो गया है।
हिंद-प्रशांत संदर्भ में भारत और यूरोप ने रणनीतिक कवायद की दिशा को पहचान कर इस पर अमल करना शुरू कर दिया है। इस क्षेत्र की ओर यूरोप का ध्यान केंद्रित होने के साथ ही इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा भी अब यूरोपीय ताकतों की नीतियों में जगह पा रही है। भारत खाड़ी को सुरक्षित करने का इच्छुक है।
क्या कहते हैं जानकार
अब जब यूरोप अपने हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए बंगाल की खाड़ी के तटीय देशों के साथ अपने संबंधों को गहरा और विस्तारित कर रहा है तो उसे अपने दृष्टिकोण में मौजूद खामियों पर भी ध्यान देना होगा। साथ ही, हम वैश्विक दक्षिण में अपने मित्रों को भूल नहीं सकते।
- जेएस मुकुल, नीदरलैंड में भारत के पूर्व राजदूत
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिहाज से तीन प्रमुख देशों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए- फ्रांस, इंग्लैंड और इटली। भारत की ओर से नौसैनिक कूटनीति पर बल दिए जाने को देखते हुए पिछले कुछ वर्षों में इन देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।
- विष्णु प्रकाश, पूर्व राजनयिक