श्रम मंत्रालय और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने पीएफ खातों पर ब्याज दर में कटौती नहीं करने का फैसला किया है। बता दें कि आम चुनावों से पहले सरकार ने पीएफ खातों पर ब्याज दर बढ़ाने का फैसला किया था। बीते साल जहां पीएफ खातों पर ब्याज दर 8.55% थी, वहीं साल 2018-19 के लिए इसे बढ़ाकर 8.65% कर दिया गया था। हालांकि वित्त मंत्रालय ने इसे लेकर ऐतराज जताया है। अधिकारियों के अनुसार, यदि ईपीएफओ अपने खाता धारकों को ज्यादा ब्याज देगा तो इससे बैंक कम ब्याज दर पर कर्ज देने में सहज नहीं होंगे। बैंकों को ये भी चिंता है कि ज्यादा ब्याज दर के चलते लोग निवेश के लिए ईपीएफओ का रुख कर सकते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।
छोटे बिजनेसमैन इससे प्रभावित होंगे, क्योंकि जिन लोगों ने कर्ज ले रखा है, उन्हें ज्यादा ब्याज दर से लोन चुकाना होगा। देश की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मुख्य नीतिगत दरों में कई बार कटौती की है, लेकिन जमा दर अधिक रहने के चलते रिजर्व बैंक की कोशिश रंग नहीं ला पा रही है। आरबीआई ने अपनी ब्याज दर में फरवरी के बाद से 0.75 प्रतिशत की कटौती की है। वहीं बैंकों ने इस दौरान अपनी कर्ज दरों में सिर्फ 0.10-0.15 प्रतिशत की ही कटौती की है। यही वजह है कि वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय से पीएफ फंड की ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी करने के फैसले से ऐतराज जताया था।
वहीं विभिन्न श्रम यूनियन, जो कि ईपीएफओ बोर्ड में ट्रस्टी हैं, वो ब्याज दरों की बढ़ोत्तरी वापस लेने के खिलाफ हैं। बताया जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में श्रम मंत्रालय इस संबंध में अपना जवाब वित्त मंत्रालय को भेज देगा। कहा जा रहा है कि यदि ईपीएफओ अपने ब्याज दर में कटौती करता है तो यह मोदी सरकार के लिए भी असहज स्थिति होगी।