कोरोना वायरस के चलते अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसाना पहुंचा है। आलम यह है कि अब लोगों की बचत पर भी कैंची चलने की नौबत आ गई है। दरअसल, खबर है कि पीएफ खाते में जमा रकम के ब्याज पर कैंची चलाने की तैयारी है। ईपीएफओ (EPFO-Employees Provident Fund Organisation) की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।
वित्त वर्ष 2019-20 के पीएफ दरें 8.65 फीसदी से घटाकर 8.50 फीसदी कर दी गई। हालांकि वित्त मंत्रालय ने इस पर मंजूरी नहीं दी है। इसका कारण निवेश पर घटते रहने वाले रिटर्न को बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि ईपीएफओ अपने 60 लाख ग्राहकों के बचत भुगतान की दरों में कटौती करते हुए इसे 8.5 फीसदी से भी कम कर सकता है।
बता दें कि EPFO के वित्त विभाग, निवेश और ऑडिट विभाग की कमेटी की बैठक में जल्द ही इस मामले पर फैसला लिया जाएगा। मार्च के पहले सप्ताह में ब्याज दर को घटाकर 8.5 प्रतिशत किया गया था लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस मंजूरी प्रदान नहीं की है। वित्त मंत्रालय की हरी झंडी के बाद ही श्रम मंत्रालय ही इसकी घोषणा करता है।
कई जगहों पर फंसे हुए हैं इपीएफओ के पैसे: ब्याज दरों में कटौती के कई कारणों में से एक कारण इपीएफो के कई जगहों पैसों का फंसा होना है। इपीएफओ ने करीब 18 लाख करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है। इसमें 4500 करोड़ रुपए दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपरेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशल सर्विसेज में निवेश किए गए हैं। इनके भुगतान में इपीएफओ को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। डीएचएफएल जहां बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रॉसेस से गुजर रही है, वहीं IL & FS को बचाने के लिए सरकार काम कर रही है।