बारामूला के सांसद इंजीनियर राशिद ने जमानत से बाहर आने के बाद मीडिया से बात की है। उन्होंने कहा कि उनका एनडीए और इंडिया गठबंधन से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें कश्मीर के मुद्दे सुलझाने हैं। उन्होंने कहा, “साढ़े पांच साल जेल में रहने के बाद मैं मजबूत महसूस कर रहा हूं। मुझे अपने लोगों पर गर्व है। मुझे अपनी प्रतिबद्धता पर गर्व है। मैं अपने लोगों को निराश नहीं करूंगा। मैं कसम खाता हूं कि मैं पीएम मोदी के ‘नए कश्मीर’ के नैरेटिव से फाइट करूंगा, जो जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह फेल हो गया है। 5 अगस्त 2019 को उन्होंने जो कुछ भी किया, लोगों ने उसे नकार दिया है।”

उन्होंने कहा, “हम मोदी जी से कहना चाहेंगे, डरो मत, डराओ मत… हम मोदी जी से डरने वाले नहीं हैं।”

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं अपने लोगों के कल्याण के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। हम डरने वाले नहीं हैं। मेरी लड़ाई उमर अब्दुल्ला के बयानों से बड़ी है। उनकी लड़ाई कुर्सी के लिए है, मेरी लड़ाई लोगों के लिए है। साढ़े पांच साल जो बंदा जेल में मर रहा हो और वो साढ़े पांच साल लंदन की गलियों में गुलमर्ग की गलियों में छिप कर बैठे थे, आज वो वोट के लिए बाहर आए हैं। मुझे उनके खिलाफ कुछ नहीं कहना। उत्तरी कश्मीर के लोगों ने उन्हें जवाब दिया है। महबूबा मुफ्ती साहिबा भी हार गईं।”

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‘370 हटाने के विरोध में हुई बंपर वोटिंग’

उन्होंने कहा, “मेरी लड़ाई लोगों के लिए है। मैं उनकी बात करके अपना कद और अपनी कुर्बानी छोटी नहीं करना चाहता। कश्मीर में वोटिंग बढ़ने की वजह आर्टिकल 370 को हटाना है। पहले कश्मीरी लोग शांतिपूर्ण तरीके से बात करते थे। उसके बाद सोशल मीडिया पर भी पाबंदी लगी। इसके बाद लोगों ने अपनी बात रखने के लिए वोट डाला। वोटिंग नरेंद्र मोदी के लिए प्यार की वजह से नहीं बढ़ी है। ये पीएम को बताने के लिए डाला कि कश्मीर क्या चाहता है, कश्मीरी क्या चाहते हैं। अगर कश्मीर विवाद कैसे हल हो, इसपर बात करना क्राइम है तो मैं ये क्राइम बार-बार करना चाहूंगा।”