Fali S Nariman Passes Away:  सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन का बुधवार को नई दिल्ली में निधन हो गया। उन्होंने 95 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वरिष्ठ वकील नरीमन ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार फैसले के खिलाफ एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद को छोड़ दिया था और इस्तीफा दे दिया। नरीमन ने 1950 में वकालत शुरू की थी। 1961 में वे सीनियर एडवोकेट नामित किए गए। उन्होंने 70 साल से ज्यादा तक वकालत की है। वहीं, साल 1972 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू कर दी थी।

नरीमन अपने लंबे वकालत करियर में कई बड़े और ऐतिहासिक मामलों का हिस्सा रहे। कहा जाता है कि वह 1975 में आपातकाल के फैसले से खुश नहीं थे। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, नरीमन ने इंदिरा सरकार के आपातकाल के खिलाफ भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद से त्यागपत्र दे दिया था। फली एस नरीमन के बेटे रोहिंटन नरीमन वरिष्ठ वकील रहे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट में जज हैं।

पद्मभूषण और पद्मविभूषण से नवाजा गया

फली एस नरीमन के कानून के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए उन्हें केंद्र सरकार ने जनवरी 1991 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। वहीं,साल 2007 में उन्‍हें देश का दूसरे सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भी दिया गया। फली एस नरीमन साल ने 1991 से 2010 तक बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष का भी पदभार संभाला है। इसके अलावा वह इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के उपाध्‍यक्ष भी रह चुके हैं।

हार्स ट्रेडिग पर बयान

देश में हॉर्स ट्रेडिंग (सांसदों-विधायकों की खरीद-फरोख्‍त) का मामला आए दिन सामना आता रहता है। 1980 के दशक के आखिर में और 1990 के दशक में इस समस्‍या ने देश को काफी बुरी तरह से जकड़ा हुआ था। इसको लेकर संविधान में संशोधन भी किए गए। सांसदों और विधायकों को पैसों के दम पर अपने पक्ष में करने को हॉर्स ट्रेडिंग का नाम दिया गया था। फली एस नरीमन ने इस शब्‍दावली पर कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि इंसानों की गलती के ल‍िए हॉर्स ट्रेडिंग मुहावरे का इस्‍तेमाल करना घोड़ों का अपमान करना है। घोड़े तो बहुत ही वफादार जानवर होते हैं।