Election Commission of India (ECI) Haryana Election/Chunav Results 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जहां बीजेपी के हौसले बुलंद हुए हैं, वहीं कांग्रेस और विपक्षी दलों के लिए यह नतीजे एक बड़ा झटका हैं। हरियाणा के चुनाव नतीजों से एक संदेश यह निकलकर गया है कि विपक्ष बीजेपी को जिन मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रहा था, ये मुद्दे असरदार साबित नहीं हुए।

हरियाणा ही नहीं जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजे भी बीजेपी के लिए अच्छे रहे हैं। पार्टी ने यहां जम्मू इलाके में ही डटकर चुनाव लड़ा था। जम्मू की 43 में से 29 सीटों पर पार्टी को जीत मिलती दिख रही है।

हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अग्निवीर योजना, किसानों की समस्याओं, संविधान और आरक्षण खतरे में है, को मुद्दा बनाया था। तब उसे इसका फायदा मिला था लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित विपक्ष के भी कई नेताओं ने संविधान और आरक्षण खत्म हो जाने की बात कही थी और जब चुनाव के नतीजे आए तो यह स्पष्ट रूप से दिखाई दिया था कि बीजेपी को इसका नुकसान हुआ है।

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बीजेपी ने उलट दिए एग्जिट पोल के नतीजे

कांग्रेस ने हरियाणा के चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि किसान बीजेपी से नाराज हैं, अग्निवीर योजना के कारण युवा बीजेपी से नाराज हैं और दलित समुदाय को इस बात का डर है कि बीजेपी संविधान और आरक्षण को खत्म कर सकती है। लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने तमाम अनुमानों, एग्जिट पोल को उलट दिया और राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव काफी अहम थे। इसमें भी हरियाणा चूंकि मूलत: हिंदी प्रदेश है इसलिए यहां के चुनाव नतीजों की गूंज महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के चुनाव में भी सुनाई दे सकती है। महाराष्ट्र और झारखंड में नवंबर में जबकि दिल्ली में अगले साल जनवरी-फरवरी में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। हालांकि दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि यहां चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही करा दिये जाएं।

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अगर कांग्रेस हरियाणा का चुनाव जीत जाती तो वह इस बात का जोर-शोर से प्रचार करती कि हरियाणा में किसानों ने, नौजवानों ने और दलित समुदाय ने बीजेपी को नकार दिया है लेकिन चूंकि चुनाव के नतीजे कांग्रेस की उम्मीदों के उलट रहे हैं इसलिए अब बीजेपी यह प्रचार कर सकती है कि कांग्रेस किसानों, नौजवानों और दलित समुदाय को भड़काने की कोशिश कर रही है।

चुनाव नतीजों को भुनाएगी बीजेपी

दिल्ली हरियाणा से सटा हुआ है। नजफगढ़ से लेकर फरीदाबाद और बवाना और नरेला के इलाके दिल्ली-हरियाणा की सीमा को छूते हैं। दिल्ली में भले ही बीजेपी कमजोर हो लेकिन हरियाणा में इस बार बेहद विपरीत हालात में भी उसने जैसी जीत हासिल की है, उसका इस्तेमाल वह दिल्ली, झारखंड और महाराष्ट्र में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने में करेगी। इन तीनों ही राज्यों में पार्टी का संगठन पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ने जा रहा है।

महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव के नतीजों में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली महायुति (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी) का प्रदर्शन खराब रहा था लेकिन हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के नतीजों के बाद बीजेपी और उसके सहयोगी दल एक मनोवैज्ञानिक बढ़त लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगे।

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झारखंड में भी विपक्षी दलों का गठबंधन जिसमें कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दल शामिल हैं, बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। बीजेपी कोशिश करेगी कि वह हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में उसके द्वारा किए गए बेहतर प्रदर्शन को इन तीनों राज्यों के चुनाव में भुनाने की कोशिश करे, देखना होगा कि पार्टी इसमें कितना कामयाब होती है।