सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने इसे असंवैधानिक भी बता दिया है। अब जब कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर बैन लगा दिया है तो अब किस तरह पार्टियों को चंदा मिलेगा? आखिर कौन से ऐसे सोर्स हैं जहां से दलों को पैसा दिया जाएगा। अब इलेक्टोरल बॉन्ड पर बैन जरूर लगा है, लेकिन चंदा पाने के अभी भी कुछ विकल्प बचे हुए हैं।
असल में राजनीतिक पार्टियां चेक के जरिए भी चंदा इकट्ठा करती हैं। कई साल पहले तक तो रसीद बुक भी पार्टियों के पास हुआ करती थी, उन्ही में डोनेशन का सारा लेखा-जोखा रहता था। इसके अलावा क्राउड फंडिंग, डोनेशन और मेंबरशिप के जरिए भी पार्टियां पैसा ले सकती हैं। वैसे ये सारे वो तरीके हैं जो पहले भी इस्तेमाल में लाए जाते थे। वो तो इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम आने के बाद इन जरियों पर ब्रेक लग गया था।
अब जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कई तर्क देकर इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाई है। कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड पूरी तरह से असवैंधानिक है। इसमें सूचना के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। आम लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि जिस राजनीतिक पार्टी को वह वोट दे रहा है, उन्हें किससे कितना चंदा मिल रहा है और उनकी फंडिंग की व्यवस्था क्या है।
इस बात पर भी जोर दिया गया है कि काले धन को रोकने के लिए चुनावी बॉन्ड के अलावा भी दूसरे तरीके हैं। बॉन्ड खरीदने वालें लोगों के नाम सार्वजनिक नहीं होते हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की भी खिंचाई की थी। सीजेआई ने कहा कि आप देशभर में चुनाव प्रक्रिया कराने वाली एजेंसी हैं अगर आप को ही नहीं पता होगा कि किस दल को कहां से फंडिंग हो रही है तो चुनाव में पारदर्शिता कहां से आएगी।