Eknath Shinde Resigns: महाराष्ट्र चुनाव में अप्रत्याशित जीत के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसी खबरें चल रही हैं कि बीजेपी अब अपने दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस को आगे करने वाली है, यानी कि इस बार सीएम पद पर उनकी ताजपोशी होगी। अब सवाल यह उठता है कि अगर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, ऐसे में एकनाथ शिंदे के पास क्या-क्या विकल्प बच जाएंगे?

केंद्र में मंत्री बनाए जा सकते हैं शिंदे

एकनाथ शिंदे अगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं, वे ज्यादा संतुष्ट तभी होंगे जब उन्हें कोई दूसरा बड़ा पद दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में अगर वे केंद्र की राजनीति में एक्टिव हो जाते हैं, ज्यादा हैरानी नहीं होनी चाहिए। वैसे भी बीजेपी ने कुछ महीनों पहले ही शिवराज सिंह चौहान को भी ऐसे ही मध्य प्रदेश की राजनीति से अलग कर कृषि मंत्री बनाने का काम किया था। इसी तरह सर्बानंद सोनवाल को भी असम सीएम पद जब छोड़ने के लिए कहा गया, उन्हें मोदी सरकार में मंत्री पद दे दिया गया। ऐसे में अब एकनाथ शिंदे को भी मोदी सरकार में कोई बड़ा पद मिल सकता है, कोई ऐसा मंत्रालय जो उनकी सीएम ना बनने के गम को कम कर दे।

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डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लें शिंदे

अगर एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की राजनीति में ही खुद को सक्रिय रखना चाहते हैं तो वे डिप्टी सीएम बनने को भी राजी हो सकते हैं। इस तरह से महाराष्ट्र की सरकार में उनकी सीधी दखल रहेगी, वे राज्य में रहकर अपनी पार्टी को भी और ज्यादा मजबूत कर पाएंगे और शानदार प्रदर्शन के दम पर कई बड़े मंत्रालय भी अपनी झोली में रखेंगे। यहां यह भी याद रखना जरूरी है कि देवेंद्र फडणवीस ने भी सीएम पद छोड़ डिप्टी का पद स्वीकार कर लिया था, ऐसे में अगर ईगो बीच में ना आए तो शिंदे, फडणवीस के साथ मिलकर महायुति को लीड कर सकते हैं।

नाराज होकर समर्थन वापस ले सकते हैं शिंदे

अगर किसी भी स्थिति में एकनाथ शिंदे इस तीसरे विकल्प को चुनते हैं, जानकार मानते हैं कि यह उनके लिए सियासी रूप से आत्मघाती सिद्ध हो सकता है। असल में किसी जमाने में राज ठाकरे ने भी ऐसे ही शिवसेना से अलग होकर अपनी हिंदू राजनीति आगे बढ़ाने का फैसला किया था। आज उनकी पार्टी का ऐसा हाल है कि सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई। ऐसे में अगर एकनाथ शिंदे बीजेपी से अपना समर्थन वापस भी लेते हैं, उस स्थिति में उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचते क्योंकि बिना दूसरे सहयोगी दलों उनके पास आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त वोटबैंक नहीं है। उद्धव के साथ फिर हाथ मिलाने का तो वैसे भी कोई सवाल पैदा नहीं होता।

वैसे जितनी चर्चा इस समय एकनाथ शिंदे के भविष्य की हो रही है, उतनी ही चिंता अब कांग्रेस को अपनी करनी पड़ेगी। असल में बात चाहे महाराष्ट्र की हो या फिर झारखंड की, कांग्रेस का अपना प्रदर्शन काफी खराब है। इसके ऊपर हरियाणा में भी जीती हुई बाजी गंवा दी गई। ऐसे में कांग्रेस का भविष्य जरूर असमंजस में है, उसने लोकसभा वाली लीड को गंवा दिया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें