Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त एक नई तरह की हलचल देखने को मिल रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सुलह हो सकती है और दोनों एक साथ आ सकते हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर कहा कि यह अच्छी बात है।
हालांकि, जब इसी मुद्दे को लेकर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे से पूछा गया तो वह नाराज हो गए। एक मीडियाकर्मी ने जब उनसे अलग हो चुके चचेरे भाइयों उद्धव और राज ठाकरे के बीच सुलह की अटकलों पर प्रतिक्रिया मांगी तो एकनाथ शिंदे ने रिपोर्टर से कहा कि वह सरकार के काम के बारे में बात करें।
बता दें, शनिवार को जब डिप्टी सीएम शिंदे सतारा जिले में अपने पैतृक गांव दरे में थे, तो टीवी मराठी के एक रिपोर्टर ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच सुलह की चर्चा पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी। शिंदे चिढ़ गए और रिपोर्टर की बात को अनसुना कर दिया। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि काम के बारे में बात करें।
राज ठाकरे ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि अविभाजित शिवसेना में उद्धव के साथ काम करने में उन्हें कोई समस्या नहीं थी। इसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आ सकते हैं। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने संभावित सुलह के बारे में अटकलों को हवा दी, जिसमें कहा गया कि वे मामूली मुद्दों को अनदेखा कर सकते हैं और लगभग दो दशक के कटु अलगाव के बाद हाथ मिला सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि मनसे प्रमुख ने कहा कि मराठी मानुष के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है। वहीं, पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयों को किनारे रखने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को शामिल न किया जाए।
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बता दें, 2022 में उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका तब लगा जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर उनकी सरकार गिरा दी। इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बना ली।
पिछले वर्ष 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुए चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) ने विपक्षी महा विकास अघाड़ी के हिस्से के रूप में 95 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 20 सीटें ही जीती थीं।
शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ने जनवरी 2006 में पार्टी छोड़ दी थी और अपने फैसले के लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद उन्होंने मनसे की शुरुआत की जिसने शुरू में उत्तर भारतीयों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने के बाद मनसे हाशिये पर चली गई। 2024 के विधानसभा चुनाव में भी उसका खाता भी नहीं खुला।
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