Eknath Shinde Ajit Pawar Hilarious Talk: महाराष्ट्र में बीते कई दिनों से चल रही राजनीतिक लड़ाई और खींचतान की खबरों की वजह से महायुति में शामिल दलों के बीच माहौल तनावपूर्ण था। विशेषकर एकनाथ शिंदे की शिवसेना और बीजेपी के बीच लेकिन बुधवार को कुछ ऐसा हुआ कि महायुति में शामिल तीनों दलों के बड़े नेताओं के चेहरे पर जमकर हंसी देखने को मिली। यह हंसी एनसीपी अजित गुट के मुखिया अजित पवार और शिवसेना शिंदे गुट के मुखिया एकनाथ शिंदे के बीच हुई बातचीत के दौरान सामने आई।
याद दिलाना होगा कि 23 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही लगातार यह खींचतान चल रही थी कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन बनेगा। अजित पवार की ओर से कोई नाराजगी नहीं थी जबकि एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनना चाहते थे हालांकि लंबी कवायद के बाद बात बन गई और शिंदे उपमुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हो गए हैं।
बुधवार को जब देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे एक साथ मंच पर आए और पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे तो इसी दौरान यह हंसी-ठिठोली का वाकया हुआ।
एकनाथ शिंदे भी लेंगे डिप्टी सीएम पद की शपथ, मनाने में कामयाब रही BJP

पत्रकारों के सवाल के जवाब में हुई
पत्रकारों ने जब यह सवाल पूछा कि क्या एकनाथ शिंदे और अजित पवार नई सरकार में डिप्टी सीएम के पद की शपथ लेंगे तो इसके जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमें शाम तक इंतजार करना चाहिए, शपथ ग्रहण कल है। जब वह अपनी बात कह रहे थे तभी अजित पवार बीच में बोल पड़े और उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे का शाम तक समझ में आएगा लेकिन मैं तो शपथ ले रहा हूं। उनकी इस बात पर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सहित वहां मौजूद तमाम बड़े नेता और पत्रकार भी जोर-जोर से हंसने लगे।
एकनाथ शिंदे भी कहां रुकने वाले थे। शिंदे ने इससे भी ज्यादा जोरदार और हंसी आने वाला जवाब दिया। एकनाथ शिंदे ने लोगों से कहा कि अजित दादा को अनुभव है शपथ शाम को भी लेने का और सुबह भी लेने का। शिंदे की इस बात पर न सिर्फ वह खुद बल्कि देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार सहित सारे नेता और पत्रकार और जोर-जोर से हंसने लगे।
इससे काफी दिनों से चल रहा तनाव का माहौल हंसी मजाक में बदल गया और यह पल कैमरे में कैद हो गए। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जोरदार ढंग से वायरल हुआ।

क्या मतलब था शिंदे का?
अब हम आपको बताते हैं कि एकनाथ शिंदे के कहने का क्या मतलब था। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था लेकिन उस वक्त अविभाजित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए अड़ गए थे और इस वजह से बीजेपी और शिवसेना की सरकार नहीं बन सकी थी।
उस दौरान अजित पवार ने एनसीपी से बगावत कर दी थी और बीजेपी को समर्थन दे दिया था। तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ सुबह ही दिला दी थी लेकिन अजित पवार बहुमत के लायक विधायकों का समर्थन बीजेपी को दिला पाने में सफल नहीं हो सके थे और इस वजह से उनकी बगावत कामयाब नहीं हुई थी।
उनके सभी समर्थक विधायक और खुद अजित पवार कुछ दिन बाद शरद पवार के साथ लौट आए थे। इसके बाद महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार बनी थी।
अजित पवार ने फिर से की थी बगावत
2023 में महाराष्ट्र की राजनीति में फिर एक बड़ा घटनाक्रम हुआ था, जब अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत की और बीजेपी-एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ हाथ मिला लिया। अजित पवार को सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया। तब उन्हें शाम को शपथ दिलाई गई थी। इसलिए एकनाथ शिंदे ने कहा कि अजित दादा को सुबह और शाम शपथ लेने का अनुभव है।