तलाक के एक मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी पढ़ी-लिखी है तो वह मेंटेनेंस के लिए पति पर दवाब नहीं बना सकती है। ओडिशा हाईकोर्ट ने इस मामले में फैमिली कोर्ट द्वारा तय की गई मेंटेनेंस की राशि को भी घटा दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी पढ़ी-लिखी है और उसके पास नौकरी का अनुभव भी है तो वह अपने पति से भरण-पोषण का दावा करने के लिए घर में बैठी नहीं रह सकती है। उसे काम करना चाहिए।
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस गौरीशंकर सतपती ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि “कानून उन पत्नियों को नहीं सराहता है जो केवल इसलिए निष्क्रिय रहती हैं ताकि पति पर भरण-पोषण का बोझ डाल सकें। वह अगर अच्छे और उच्च योग्यताएं रहते हुए काम करने का प्रयास नहीं करती है तो यह ठीक नहीं है।” कोर्ट ने कहा कि “सीआरपीसी की धारा 125 के तहत विधायिका का उद्देश्य उन पत्नियों को राहत प्रदान करना है जो अपनी देखभाल करने में असमर्थ हैं और जिनके पास अपनी जीविका के लिए पर्याप्त आय नहीं है।”
मेंटेनेंस की राशि भी घटाई
हाईकोर्ट ने इस मामले में पति को राहत देते हुए फैमिली कोर्ट द्वारा तय की गई मेंटेनेंस की राशि को भी कम कर दिया है। कोर्ट ने मेंटेनेंस की राशि को 8000 रुपये से घटाकर 5000 रुपये प्रति माह कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पत्नी को पति की मदद करनी चाहिए। अगर पत्नी इस काबिल है कि वह नौकरी कर सकती है या उसे नौकरी का अनुभव है तो वह मेंटेनेंस की राशि के लिए पति पर निर्भर नहीं रह सकती है।