एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अखबारों के लिए जारी असम राइफल्स के एक हालिया आदेश पर चिंता जताते हुए गुरुवार को कहा कि इससे नगालैंड में मीडिया संस्थानों की आजादी पर अत्यधिक पाबंदी लग जाएगी। गिल्ड का कहना है कि गृह मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। अखबारों को उग्रवादी संगठनों और खासकर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खापलांग) के बयानों को प्रकाशित नहीं करने की चेतावनी देने वाले असम राइफल्स के आदेश को हानिकारक बताते हुए गिल्ड ने कहा कि वह अखबारों का समर्थन करता है, जिन्होंने इस आदेश का पालन करने में अनिच्छा दिखाई है। केंद्र सरकार ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आॅफ नगालैंड (खापलांग) को आतंकवादी संगठन घोषित किया है।

गिल्ड ने कहा कि वैध खबरों के कवरेज पर किसी तरह की पाबंदी या मीडिया को चुप करने के प्रयास मीडिया की आजादी पर हमला हैं और एडिटर्स गिल्ड इसकी निंदा करता है। गिल्ड के अध्यक्ष राज चेंगप्पा और महासचिव प्रकाश दुबे व कोषाध्यक्ष सीमा मुस्तफा के हस्ताक्षर वाले बयान के अनुसार असम राइफल्स ने आदेश का उल्लंघन करने पर अखबारों को 1967 के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दंडित करने की चेतावनी देकर उन पर नियंत्रण की कोशिश की है, जो निंदनीय है।

वरिष्ठ पत्रकारों ने बयान में कहा कि सभी जहां कानून व्यवस्था बनाने में पुलिस की भूमिका की सराहना करते हैं, वहीं न्याय और निष्पक्षता की भावना में अखबारों के लिए उचित परिश्रम और जिम्मेदारी के साथ विभिन्न विचारों को सामने लाना महत्त्वपूर्ण है। पांच अखबारों ने बुधवार को असम राइफल्स के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए संपादकीय की जगह खाली छोड़ दी थी। उन्होंने गृह मंत्री से हस्तक्षेप करने और प्रेस की आजादी के हित में आदेश को वापस लेने का आग्रह किया।