प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रियल ईस्टेट कंपनी सुपरटेक के चेयरमैन आर के अरोड़ा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने आर के अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया है। 27 जून को उन्हें समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया गया था। सुपरटेक के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुपरटेक और उसके निदेशकों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। बता दें कि पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टॉवर को गिराया गया था।

क्या है आरोप?

सुपरटेक पर आरोप है कि उसने बुक किए गए फ्लैटों के लिए अग्रिम राशि के रूप में घर खरीदारों से पैसे तो ले लिए थे, लेकिन ग्राहकों को फ्लैट का पजेशन सौंपने में विफल रहे। ईडी की कार्रवाई से सामने आया कि सुपरटेक लिमिटेड और ग्रुप की दूसरी कंपनियों ने होम बायर्स से पैसा जुटाया। साथ ही फ्लैट बनाने के नाम से बैंकों से लोन भी लिया। बाद में इस फंड को ग्रुप की दूसरी कंपनियों के नाम जमीन खरीदने के लिए डायवर्ट कर दिया गया। जांच में सामने आया है कि सुपरटेक ने इन जमीनों को फिर से बैंकों से कर्ज लेने के लिए गिरवी रख दिया गया। सुपरटेक ग्रुप ने बैंकों को पेमेंट करने में भी डिफॉल्ट किया। इससे बैंकों का करीब 1500 करोड़ रुपये का लोन एनपीए हो गया।

इसी मामले को लेकर उसके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई। अप्रैल में ईडी ने सुपरटेक और उसके निदेशकों की 40 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की थी। इस मामले की जांच पुलिस के अलावा ईडी ने भी शुरू की। जांच में पाया गया था कि खरीदारों से फ्लैट्स के नाम पर मोटी रकम ली की गई। इसमें उत्तराखंड की 25 अचल संपत्तियां और यूपी के मेरठ में बना मॉल शामिल है।

अप्रैल में भी हुई थी कार्रवाई

सुपरटेक के खिलाफ अप्रैल में भी बड़ी कार्रवाई हुई थी। 19 अप्रैल को नोएडा के सेक्टर 96 में सुपरटेक ऑफिस का मुख्य कार्यालय सील कर दिया। दरअसल सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लिमिटेउ पर रेरा का 33 करोड़ 56 लाख रुपये बकाया था। इस संबंध में सुपरटेक को कई बार नोटिस भी जारी किए गए थे लेकिन बिल्डर ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। मुनादी के बाद भी जब बिल्डर ने राशि जमा नहीं करवाई तो जिला प्रशासन की ओर से यह कार्रवाई की गई।