अर्थव्यवस्था में मंदी का असर बड़ी-बड़ी सरकारी कंपनियों पर भी पड़ रहा है। कई सरकारी कंपनियां नकदी के संकट से गुजर रही हैं। यही वजह है कि अब इन कंपनियों ने तय टारगेट पूरा ना करने वाले कर्मचारियों की तन्खवाह में कटौती का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही ये सरकारी कंपनियां कर्मचारियों की बची हुई छुट्टियों के बदले नकद भुगतान करने की सुविधा भी खत्म करने पर विचार कर रही हैं।
खबर के अनुसार, बीएसएनल ने एक आंतरिक पत्र में अपने कर्मचारियों को सूचित कर दिया है कि जो कर्मचारी लैंडलाइन और ब्रॉडबैंड के तय टारगेट को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, उनकी सैलरी काटी जाएगी। जितना टारगेट कम रहेगा उसी अनुपात में सैलरी काटी जाएगी। पत्र के अनुसार, जो कर्मचारी बचा हुआ टारगेट सितंबर तक पूरा कर देंगे, उन्हें काटी गई रकम वापस कर दी जाएगी।
कोल इंडिया की सबसे बड़ी सब्सिडियरी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड (SECL) ने भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सैलरी में 25% की कटौती करने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि SECL बोर्ड द्वारा फिलहाल इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि सरकारी कंपनियां कच्चे माल की खरीद, वित्तीय प्रबंधन और प्रोडक्शन टारगेट को पूरा करने के लिए उक्त कदम उठा रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से खबर आयी हैं कि भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL) ने भी नकदी की समस्या के चलते अपने कर्मचारियों को बची हुई छुट्टियों के बदले नकदी देने की सुविधा बंद करने की बात कही है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है।
वहीं हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड ने भी खर्च घटाने के लिए लीव इनकैशमेंट की सेवा पर रोक लगा दी है। हालांकि रिटायरमेंट लेने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर यह पैसा मिलेगा। बता दें कि HAL भी नकदी की कमी से जूझ रही है और इसके चलते कर्मचारियों की सैलरी देने में भी कंपनी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बीते दिनों BSNL में कई कर्मचारियों को स्वैच्छिक वीआरएस देने की भी पेशकश की गई थी। यह कदम कंपनी पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करने और कंपनी की कार्यक्षमता को ज्यादा प्रभावी बनाने के उद्देश्य से उठाने की बात कही गई थी।