नई दिल्ली। राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों को इबोला महामारी का पता लगाने और रोकथाम के उपाय के बारे में केंद्र प्रशिक्षण मुहैया कराएगा। कैबिनेट सचिव अजीत सेठ की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। इस महामारी से दुनिया भर में 4,000 लोगों की मौत हुई है।

राज्य सरकार के अधिकारी 19 और 20 अक्तूबर को दिल्ली में प्रशिक्षण प्राप्त करके अपने राज्यों को लौट जाएंगे और अन्य अधिकारियों को इबोला विषाणु का पता लगाने, इसकी रोकथाम के बारे में प्रशिक्षित करेंगे। कैबिनेट सचिव ने सभी सचिवों से देश में हवाई अड्डों और बंदरगाहों के जरिए प्रवेश करने वाले सभी यात्रियों की जांच के लिए उपयुक्त तंत्र स्थापित करने को भी कहा है ताकि इबोला विषाणु से ग्रसित कोई भी व्यक्ति देश में प्रवेश नहीं कर सके।
केंद्र सरकार ने इबोला महामारी के दुनिया भर में फैलने को लेकर सभी राज्यों से गंभीरता बरतने को कहा है। इस विषाणु से इस साल दुनिया भर में 4,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है जबकि 8,000 से अधिक लोग पीड़ित हुए हैं।

इस बीच मुंबई से एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने बंबई हाई कोर्ट को सूचित किया है कि देश के सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों को अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों में ‘इबोला’ का पता लगाने के लिए थर्मल इमेज स्कैनर मुहैया कराए गए हैं। सरकार के वकील रुई रोड्रिग्स ने अदालत को बताया कि पुणे और नागपुर सहित सभी हवाई अड्डों पर यात्रियों में इबोला संक्रमण का पता लगाने के लिए स्कैनर मुहैया कराए गए हैं। उनके बयान को रिकॉर्ड में लेते हुए न्यायमूर्ति अभय ओका ने समाजिक कार्यकर्ता केतन तिरोड़कर की जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया जिसमें आरोप था कि इबोला का प्रसार रोकने के लिए भारत पूरी तरह से तैयार नहीं है।