पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में धोखेबाज चीनियों ने भारतीय जवानों को घेरकर हमला करने की पूरी योजना बना रखी थी। शहीद कर्नल बी संतोष बाबू और उनके साथ 10 जवान जब पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 से शिविर हटाने के लिए कहने गए, तब भारतीय इलाके में मौजूद 150 चीनी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया और लोहे की छड़ों से हमला कर दिया। थोड़ी देर में आसपास छिपे आठ सौ से चीनी सैनिक वहां पहुंच गए और उनलोगों ने शिविर के बाहर मौजूद निहत्थे लगभग 150 भारतीय जवानों को घेर लिया।
चीन के अचानक हुए हमले से भारतीय जवान हैरान तो हुए, लेकिन उनलोगों ने डटकर मुकाबला करना शुरू किया। गुत्थमगुत्था हुए कुछ जवान पहाड़ की ओट तक जा पहुंचे, जिससे वे नीचे गिर गए। उनके साथ चीनी जवान भी नीचे गिरे। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, संघर्ष में घायल हुए जवानों को लेह के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 24 सैनिक गंभीर हैं। अन्य 110 खतरे से बाहर हैं।
दरअसल, चुशूल में दोनों देशों के जनरलों के बीच हुई बैठक में इस इलाके को खाली करने पर सहमति बनी थी। गलवान क्षेत्र खतरनाक है, लेकिन यह इलाका मौजूदा घटनाक्रम में दोनों देशों के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद से जुड़े पूर्व राजदूत पी स्टॉपडन के मुताबिक, चीन की तरफ से वहां सीमा संधि का प्रत्यक्ष उल्लंघन किया गया है, लेकिन चीन अपनी नीतियों के अनुसार हेकड़ी दिखा रहा है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, इसके बावजूद चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा के भीतर पीपी 14 के करीब अस्थायी शिविर को हटाने से मना कर दिया था।
समझौते के मुताबिक, यहां के चीनी सैनिकों को उनकी एलएसी पोस्ट-1 की ओर लौटना था। कर्नल संतोष और उनके साथी सैनिकों को इस शिविर को हटवाने के निर्देश दिए गए थे। शिविर के सवाल पर रविवार को पथराव की घटना हुई। चीन की सेना भारत को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराने लगी। इसके बाद सोमवार रात दोनों देशों के सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष हुआ।
गलवान घाटी में आठ घंटे तक हिंसा हुई
गलवान घाटी के अभियान से जुड़े नई दिल्ली में सेना के एक आला अधिकारी के मुताबिक, करीब 15 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित गलवान घाटी के घटनास्थल पर सोमवार शाम चार बजे से आधी रात तक करीब आठ घंटे तक हिंसा हुई। निहत्थे भारतीय सैनिक ऐसे किसी हमले के लिए तैयार नहीं थे। भारत और चीन के कोर कमांडरों में छह जून को सहमति बनी थी कि सैनिक 2-3 किलोमीटर पीछे हटेंगे। इसके तहत चीन के सैनिकों को एलएसी की पोस्ट-1 पर लौटना था। यह प्रक्रिया सात दिन से जारी थी।
दोनों ओर की सेना के अधिकारी इस प्रक्रिया की पुष्टि कर रहे थे। सोमवार दोपहर से भारतीय सेना के कमांडिंग अफसर (कर्नल संतोष) के साथ 10 जवान पीपी-14 के पास चीनी सैनिकों के लौटने की निगरानी कर रहे थे। करीब 20 चीनी सैनिकों को वहां से हटना था, लेकिन जब चीनी सैनिक अपनी जगह से नहीं हटे तो झड़प शुरू हो गई। कर्नल संतोष और उनके साथियों पर हमले के बाद भारतीय सैनिक चीनियों से गुत्थमगुत्था हुए, लेकिन कुछ ही देर में चीन के करीब आठ सौ सैनिक जमा हो गए।
भारत के सैनिक कम थे। शाम छह बजे तक दोनों ओर के सैनिकों के बीच घमासान शुरू हो गया। संघर्ष के दौरान पहाड़ी पर से गुत्थमगुत्था कई सैनिक गलवान नदी में गिर गए। चीन के भी 40 से 50 जवान खाई में गिरे बताए जा रहे हैं। भारतीय सेना के कुछ जवान अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। भारत के घायल हुए 17 जवानों की नदी में गिरने के बाद मौत होने की पुष्टि हो गई है।