चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के जजों, वकीलों और उनके सहयोगियों ने विदाई समारोह में उनके कार्यकाल को याद किया और कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की 370, समलैंगिक विवाह और चुनावी बांड जैसे जटिल मुद्दों से निपटने इच्छा सराहना की और कहा कि ऐसे मुद्दों से पिछले सीजेआई बचते रहे थे।
कपिल सिब्बल के भाषण की महत्वपूर्ण बातें
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि वे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के पिता (पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़) के सामने भी पेश हुए थे, जिन्होंने सात साल से ज़्यादा समय तक सीजेआई के रूप में कार्य किया।
कपिल सिब्बल ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को अपने पिता के गुणों और उपलब्धियों को अपने भीतर रखना था, उनकी तरह काम करना था। मुझे कहना होगा कि लेकिन आप उनसे आगे निकल गए। सिब्बल ने इस बात पर ज़ोर सीजेआई चंद्रचूड़ फैसलों में में जीवन, स्वतंत्रता और समानता की रक्षा पर लगातार ध्यान केंद्रित किया गया।
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‘अदालत जज से बनती है’
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कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि न्यायालय का निर्माण इसकी दीवारों या इसकी इमारतों के मेहराबों से नहीं होता। बल्कि इसके न्यायाधीशों द्वारा अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए किए गए काम से होता है। आखिरकार किसी भी न्यायाधीश की विरासत इस बात से मापी जाती है कि उसने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा कैसे की है और इस संबंध में यह सभी संदेह से परे है कि मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कुछ अभूतपूर्व निर्णय दिए हैं। आपका कार्यकाल बहुत समृद्ध और सृजनात्मक रहा।
कपिल सिब्बल ने न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर भी बात की और कहा कि आपने देश के ऐसे लाखों लोगों को इस बात एक्सेस दिया जो यह देखना चाहते हैं कि हमारे न्यायाधीश क्या कर रहे हैं, वे किस तरह से न्याय दे रहे हैं। आप लोगों को आपकी आलोचना करने की अनुमति देते हैं। इससे बड़ी बहादुरी और क्या हो सकती है?