कांग्रेस एमपी कुमारी शैलजा ने दावा किया था कि बतौर कैबिनेट मंत्री गुजरात के द्वारका मंदिर के दौरे पर वहां के पंडित ने उनसे उनकी जाति पूछी थी। इस पर सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष के बीच राज्यसभा में तीखी बहस भी हुई। शैलजा के इस बयान को राज्यसभा सांसद व द्वारका मंदिर व्यवस्थापन समिति के वाइस चेयरमैन परिमल नथवानी ने चौंकाने वाले करार दिया है। नथवानी के मुताबिक, मंदिर में जाति पूछे जाने का रिवाज है और ऐसा किया जाना अपमानजनक नहीं है। नथवानी के मुताबिक, यह मामला उठाया जाना गैरजरूरी है, क्योंकि यह एक सामाजिक कायदा है।
नथवानी झारखंड से दूसरी बार राज्यसभा सांसद हैं। उन्होंने शैलजा के सोमवार को राज्यसभा में दिए गए बयान पर अपना जवाब फेसबुक पर शेयर किया है। उन्होंने लिखा, ”कुमारी शैलजा का पूरा सम्मान करते हुए मैं द्वारका मंदिर व्यवस्थापन समिति के वाइस चेयरमैन के तौर पर यह कहना चाहता हूं कि मुझे ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं, जहां किसी श्रद्धालु को अपमान का सामना करना पड़ा हो। तीर्थ पंडा द्वारा गोत्र पता करने के लिए किसी श्रद्धालु की जाति पूछे जाने में अपमानजनक कुछ नहीं है।” नथवानी ने द्वारका मंदिर की तस्वीर के साथ अपनी टिप्पणी पोस्ट की है। इसमें लिखा है, ”द्वारका एक प्राचीन पवित्र तीर्थ स्थल है। जाति के बारे में पूछे जाने का रिवाज है, इसमें अपमानजनक कुछ भी नहीं है। जिस तरह से आधुनिक वक्त में हमारे फैमिली डॉक्टर और फैमिली वकील होते हैं उसी तरह हिंदू परिवारों में पारिवारिक पुरोहितों का रिवाज रहा है। पंडे अपने यजमान की जाति की जानकारी रखते हैं और उसी के आधार पर दक्षिणा लेते हैं। अगर कोई पंडा किसी दूसरी जाति के जजमान की पूजा करवाता है तो वो मिली दक्षिणा को उस पंडे को सौंप देता है, जिसे उस जाति के यजमान की पूजा करवाने का अधिकार होता है। यह सभी प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थलों का रिवाज है।”
क्या कहा था शैलजा ने: शैलजा ने संविधान दिवस के मौके पर विशेष चर्चा में भाग लेते हुए अपना एक अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी एक दलित लेकिन हिन्दू हूं। मैं मंदिर जाना पसंद करती हूं। मैं द्वारका मंदिर गयी थी, उस समय मैं कैबिनेट मंत्री थी। वहां के पुजारी ने मेरी जाति पूछी थी। (पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)