तमाम तब्दीली से इतर कोरोना प्रकरण ने एक आभासी दुनिया भी खड़ी कर दी है। आमतौर पर सड़कों पर चलने वाले आंदोलनों ने पूर्णबंदी में अपनी उपस्थिति आनलाइन दर्ज करा कर और सकारात्मक नतीजे पाए। पूर्णबंदी के बीच लोगों ने आनलाइन माध्यम से संसद से श्मशान तक अपनी शिरकत बढ़ाई। मसलन नेशनल कंफेडेरेशन आफ दलित एंड आदिवासी (नेकडोर) ने बाबासाहेब आंबेडकर की 129वीं जयंती पर संसद भवन परिसर में लगी उनकी प्रतिमा पर आनलाइन माल्यार्पण कराया। जिसमें साढ़े नौ लाख लोगों ने भाग लिया। स्वराज इंडिया ने किरायामाफी का आंदोलन चलाया तो जन आंदोलन की राष्ट्रीय समन्यवक ने ‘करो ना कुछ’ अभियान आनलाइन चलाकर 43 करोड़ श्रमिकों के लिए 5000 प्रतिमाह देने की मांग सरकार तक पहुंचाई। अब तक जो धमक झंडे, डंडे और संख्या बल से दर्ज होती थी घरबंदी में उनकी जगह सोशल मीडिया के हिट्स, लाइक,और ट्वीट ने ली है।
नेकडोर के अध्यक्ष अशोक भारती ने बताया कि इस बार कोरोना विषाणु से बचाव के लिए डा बीआर अंबेडकर की 129वी जयंती पर कोई सावर्जनिक समारोह नहीं किया गया। लेकिन साढ़े नौ लाख लोगों ने आभासी तौर पर आनलाइन श्रंद्धजलि देकर नया रिकार्ड बनाया। विदेशों में बैठे लोगों ने भी विशेष ऐप व नेट के जरिए संसद भवन परिसर में लगी बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यर्पण किया। बाबा साहब की जय-जयकार के नारे भी गुजें। ये सारी गतिविधियां करने में उन्हें चार बटन दबाने पड़े। आखिरी बटन प्ले का था जिसे दबाते ही बाबा साहेब की जय-जयकार की अनुभूति हुई।
इसी प्रकार स्वराज इंडिया के हल्लाबोल की किरायामाफी आंदोलन ‘नो रेंट फार स्टूटेंड’ की आनलाइन मुहिम ट्विटर पर ट्रेंड कर अपनी जगह बनाई। दो घंटे में साढ़े पांच हजार ट्वीट बटोरने वाले इस आभासी आंदोलन पर स्वराज इंडिया के युवा नेता आशुतोष ने कहा-आंदोलन सफल रहा। अब जल्द ही ‘चेंज डाट ओआरजी’ पर सिग्नेचर कंपेंन शुरू कर रहे हैं। जिसमें लोग डिजिटल दस्तखत कर अपनी मांग सरकार तक भेजेंगे। युवा-हल्लाबोल के समन्वयक गोविंद मिश्र ट्विटर कैंपेन की शुरुआत हुई तो कुछ ही देर में यह पूरे देश भर में 10वे नंबर पर ट्रेंड करने लगा। देश के कई जाने माने कोचिंग संस्थानों ने इस मुहीम में हिस्सा लिया। करीब 9000 ट्विट्स इस पर आ चुके थे। इसके तहत सरकार से छात्रों के किराया माफ करने की मांग पहुंचाई गई है।
मजदूर संगठनों ने चलाया ‘करो ना कुछ’ अभियान
जन आंदोलन की राष्ट्रीय समन्यवय (एनएपीएम) ने पूर्णबंदी से प्रभावित प्रवासी मजदूरों सहित 43 करोड़ श्रमिकों के लिए 5000 रुपए प्रतिमाह देने की मांग को लेकर मजदूर संगठनों और सामाजिक संगठनों ने शुक्रवार को ‘करो ना कुछ’ अभियान चलाया। लोग आनलाइन जुड़े और सामूहिक उपवास रखा। सरकार तक अपनी मांग पहुंचाई। और सरकार ने पैसे जारी भी किए।
केंद्र के अलावा राज्य सरकारों तक ने भी मजदूरों, बेरोजगार हुएकामगारों, श्रमिकों को लेकर संवेदनशील रुख अपनाने और उनके लिए जरूरी आर्थिक मदद जारी करने की मांग को गति मिली। इस मुहिम को 102 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दुराई स्वामी से लेकर 97 साल के डा जीजी पारिख और प्रख्यात लेखक रामचंद्र गुहा तक का समर्थन मिला। इसके अलावा कर्नाटक विधान परिषद के पूर्व उप-सभापति बीआर पाटिल, प्रसिद्ध गांधीवादी प्रसन्ना, राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष गणेश देवी, जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वयक और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर आदि भी समर्थन में उतरे।
मां को वीडियो कॉल पर दी अंतिम श्रंद्धांजलि
कोरोना कोप की आभासी दुनिया के एक गवाह दिल्ली में रह रहा कोरोना वार्ड का एक कर्मचारी भी बना। वह अपनी मां की अंतिम यात्रा का दूरदर्शक बना। चिता की अग्नि को महसूस कर परिजनों के गम का साथी बना। दरअसल लेडी हार्डिंग अस्पताल में कोरोना वार्ड में तैनात राजस्थान निवासी एक स्वास्थ्य कर्मचारी की मां का देहांत मंगलवार को उनके पैतृक गांव में हो गया था। वे यंहा अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे है। वे अपनी मां की अंतिम यात्रा में सशरीर तो शामिल नहीं हो सके, लेकिन वीडियो कॉलिंग कर मां के अंतिम यात्रा के दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
आनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन
विश्वभर में फैली महामारी कोरोना के कारण पूरा भारत भी पूर्णबंदी के दूसरे चरण में आ गया। ऐसे स्थिति में हिंदी प्रेमियों के मनोरंजन और सृजन को घर बैठे जारी रखने के उद्देश्य से हिंदीग्राम संस्था की ओर से बुधवार को आॅनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसका संयोजन संस्था की संयोजिका और साहित्यकार भावना शर्मा ने किया। इस आनलाइन कवि सम्मेलन में दिल्ली के करीब 20 कवि-कवयित्रियों ने भाग लिया। इन सभी रचनाकारों ने अपनी काव्य रचनाओं के वीडियो वॉसऐप समूह में नियत क्रम में प्रेषित किए। हिंदी प्रचार के लिए प्रतिबद्धता से कार्यरत मातृभाषा उन्नयन संस्थान की ओर से सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रेषित किए गए। कवि सम्मेलन को समूह के साथियों द्वारा घरबंदी का सदुपयोग बताते हुए सराहा गया एवं सभी श्रोताओं द्वारा कवियों को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की गईं।

