Drishti IAS Vikas Divyakirti: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के कोचिंग सेंटर में तीन यूपीएससी स्टूडेंट्स की मौत की घटना पर दृष्टि कोचिंग सेंटर के संचालक विकास दिव्यकीर्ति ने पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैं इस चीज से बचता हूं कि हम सारी गलती किसी पर थोप दें। विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि अलग-अलग कानून, अलग-अलग एजेंसियों में कोऑडिनेशन की कमी है। उन्होंने भ्रष्टाचार की तरफ इशारा किया। मैं भी उस वीडियो को देखकर काफी परेशान रहा।

दृष्टि आईएएस के संस्थापक और एमडी डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि यह कोचिंग संस्थानों की बड़ी जिम्मेदारी है। इसे सुधारना हर संस्थान की जिम्मेदारी है और मैं अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हूं। हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिसकी दिल्ली में इजाजत नहीं है, चाहे इसके लिए हमें दिल्ली क्यों न छोड़नी पड़े। हम केवल स्वीकृत इमारतों में ही काम करेंगे।

टीम दृष्टि ने कहा कि हमें खेद है कि हमने अपना पक्ष रखने में देरी की। हम नहीं चाहते थे कि अधूरी जानकारी के आधार पर कुछ कहें। इस देरी के लिये हम हृदय से क्षमाप्रार्थी हैं। शनिवार की दुर्भाग्यपूर्ण घटना, जिसमें 3 विद्यार्थियों श्रेया यादव, तान्या सोनी और निविन डाल्विन की असमय व दर्दनाक मृत्यु हुई। इस पर हम अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। हम तीनों बच्चों के लिए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवारजनों को यह अपूरणीय क्षति झेलने का हौसला दे।

कोचिंग संस्थाओं के लिए दिशानिर्देश लागू करे

टीम ने विकास दिव्यकीर्ति का पक्ष रखते हुए आगे कहा कि इन बच्चों के परिवारों से हमारा सही से परिचय नहीं है लेकिन दुख की इस घड़ी में हम पूरी तरह उनके साथ हैं। अगर हम किसी भी तरह उनके लिए कुछ कर सकेंगे तो हमें काफी कृतज्ञता महसूस होगी। इस दुर्घटना को लेकर विद्यार्थियों में जो रोष दिख रहा है, वह पूरी तरह न्यायसंगत है। बहुत अच्छा होगा अगर इस रोष को सटीक दिशा मिले और सरकार कोचिंग संस्थाओं के लिए दिशानिर्देश लागू करे। इस संबंध में हम सरकार के साथ पूरा सहयोग देने के लिए तैयार हैं।

कोचिंग संस्थानों से जुड़ी यह समस्या ऊपर से जितनी सरल दिखती है, उतनी है नहीं। इसके कई पक्ष हैं जिनके तार कानूनों की अस्पष्टता और अंतर्विरोध से जुड़ते हैं। डीडीए, एमसीडी तथा दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के नियमों में असंगति है। इसी तरह, ‘दिल्ली मास्टरप्लान-2021’, ‘नैश्नल बिल्डिंग कोड’, ‘दिल्ली फायर रूल्स’ और ‘यूनिफाइड बिल्डिंग बाई-लॉज़’ के प्रावधानों में भी काफी अंतर्विरोध है। ‘दिल्ली मास्टरप्लान-2021’ को छोड़कर किसी भी दस्तावेज में कोचिंग संस्थानों के लिए साफ प्रावधान नहीं दिए गए हैं।

फायर एन्ड सेफ्टी ऑफिसर का पद दृष्टि कोचिंग में

दिव्यकीर्ति की टीम ने आगे कहा कि हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि टीम दृष्टि विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर काफी ज्यादा सतर्क नजर आती है। इस समय हमारी मैनेजमेंट में ‘फायर एन्ड सेफ्टी ऑफिसर’ का एक खास पद है और इस पर कार्यरत अधिकारी नैशनल फायर सर्विस कॉलेज (नागपुर) से पढ़े हुए हैं और बड़े अस्पतालों और मॉल्स में 14 सालों तक काम कर चुके हैं। वे हर एक भवन का नियमित रूप से सेफ्टी ऑडिट करते हैं। इसके अलावा हर एक भवन के लिए एक-एक अधिकारी की जिम्मेदारी होती है। हमारे क्लासरूम जिन भी भवनों में हैं, उनमें आने-जाने के लिए कम से कम दो रास्ते हैं ताकि किसी भी इमरजेंसी में बच्चे बाहर निकल सके।

सरकार तीन-चार क्षेत्रों को चुनकर कोचिंग संस्थानों के लिए तय करे

इस समस्या का स्थायी समाधान यह है कि सरकार दिल्ली में तीन-चार क्षेत्रों को चुनकर उन्हें कोचिंग संस्थानों के लिए नियत करे। अगर सरकार क्लासरूम्स, लाइब्रेरीज, होस्टल खुद तैयार कराएगी तो न ज्यादा किराए की समस्या रहेगी और न ही सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों की। इस विषय की कठिनाइयों को साफ करने के लिए हम जल्दी ही एक वीडियो या आर्टिकल जारी करेंगे ताकि सभी विद्यार्थियों व अन्य लोगों को सभी पक्षों का अनुमान हो सके। हमें विश्वास है कि जब सारे पक्ष सामने होंगे, तब समाधान की सही राह निकलेगी। वहीं बता दें कि इस मामले में दिल्ली सरकार ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है। इससे संबंधित खबर के लिए यहां पर क्लिक करें…