WhatsApp, Telegram जैसे मैसेजिंग ऐप का भारत में अधिक लोगों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है। लेकिन यह कितना सुरक्षित है इस बारे में सरकार ने जानकारी देते हुए कहा है कि व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप गोपनीय जानकारी या दस्तावेज साझा करने के लिए सुरक्षित नहीं हैं। कहा गया है कि इन प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से गोपनीय जानकारी साझा करना रिस्‍की हो सकता है। जिसे लेकर सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि सभी सरकारी कर्मचारियों को गोपनीय जानकारी साझा करने के लिए व्हाट्सएप, टेलीग्राम या अन्य सोशल मीडिया ऐप का उपयोग नहीं करना चाहिए।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, सरकार ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा गया है कि इन ऐप्स के सर्वर दुनिया भर में निजी कंपनियों के स्वामित्व में हैं और जानकारी का भारत विरोधी ताकतों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है। कहा कि वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) अवधि के दौरान, अधिकारियों को केवल ई-ऑफिस एप्लिकेशन के माध्यम से जुड़ना चाहिए। सरकार का यह आदेश Amazon Alexa, Apple HomePod, Google Meet, Zoom आदि पर भी लागू होता है।

सरकार का यह आदेश व्हाट्सएप, टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया ऐप पर मौजूदा व्यवस्था में खामियों का विश्लेषण करने के बाद दिया गया है। केंद्र ने गुप्त सूचना लीक से बचने के लिए राष्ट्रीय संचार मानदंडों और सरकारी निर्देशों के लगातार उल्लंघन के परिणामस्वरूप खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई सलाह पर लिया गया है। जिसे लेकर सरकार ने सभी मंत्रालयों को ऐसे उल्लंघनों को रोकने के लिए “तत्काल कदम” उठाने और संवेदनशील या प्रतिबंधित संचार से निपटने के दौरान संचार सुरक्षा नीतियों और दिशानिर्देशों का सख्ती से लागू कराने का निर्देश दिया है।

यह भी पढ़ें: Oppo Reno 7 5G और Reno 7 Pro 5G जल्‍द भारत में दे रही दस्‍तक, जानिए क्‍या होंगे खास फीचर्स व कीमत

इसके अलावा, सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को नए संचार दिशानिर्देश वितरित किए गए हैं, और शीर्ष अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि गोपनीय या राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के दौरान बैठकों के दौरान स्मार्ट-वॉच या स्मार्ट फोन का उपयोग न करें। इतना ही नहीं कम्युनिकेशन एडवाइजरी के नए मानकों में वर्चुअल मीटिंग के नियमों का भी जिक्र है।

बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान के बाद से प्राइवेट और सरकारी सेक्‍टर के लिए वर्क फ्रॉम होम और वीडियो मीटिंग को सामान्य कर दिया गया है। अधिकारियों को सलाह दी जाती है कि वे केवल उन्नत कंप्यूटिंग विभाग (सी-डैक), राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा स्थापित वीडियो कॉन्फ्रेंस समाधानों का उपयोग करना चाहिए।