सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार दिया और चार साल की जेल व 10 करोड़ रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने अपने 570 पेजों के फैसले में पाया कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने जब इस मामले में फैसला दिया था तब जज से गणना को लेकर कोई गलती हो गई थी। कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट जज ने जयललिता, शशिकला और दो अन्य आरोपियों की आय का हिसाब गलत लगा लिया था।
सुप्रीम कोर्ट के जज पीसी घोष और अमिताव रॉय ने पाया कि हाईकोर्ट जज ने आरोपियों द्वारा बैंकों से लिए गए लोन की गणना करने में गलती हो गई। होईकोर्ट जज सीआर कुमारस्वामी ने अपने फैसले में 10 कर्जों की गणना 24.17 करोड़ की थी, जबकि सही राशि 10.67 करोड़ ही है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, “हाईकोर्ट ने गलती से लोन का अमाउंट 24,17,31,274 रुपए गिन लिया, जबकि असल में यह 10,67,31,224 रुपए होना चाहिए था।” करीब 13.5 करोड़ रुपए के इस अंतर का फायदा आरोपियों को मिल गया।
दरअसल हाईकोर्ट ने इन कर्जों को भी आरोपियों की संपत्ति की हिस्सा मान लिया और कोर्ट ने ज्ञात आय 5.99 करोड़ रुपए को 24.17 करोड़ रुपए में से घटा दिया। इस तरह गलती के कारण उनके आय में 18.17 करोड़ रुपए का इजाफा हो गया। जबकि कर्ज की राशि की सही से गणना की जाती तो उनकी आय 4.68 करोड़ ही होती। इस तरह हाई कोर्ट ने अपने फैसले में आय से अधिक संपत्ति 2.82 करोड़ रुपए बताई, जबकि असल में यह 16.34 करोड़ रुपए थी। कुल आय के 10 फीसदी से कम आय से अधिक संपत्ति होने के आधार पर जयललिता को बरी कर दिया था।
उच्चतम न्यायालय कहा कि जयललिता द्वारा अपने जन्मदिन पर स्वीकार 2.15 करोड़ रुपए मूल्य के नकदी और तोहफे को कानूनी आय नहीं माना जा सकता। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत के निष्कर्षों के साथ सहमति जताई। न्यायालय ने जयललिता की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि 2.15 करोड़ रुपए की राशि और विदेश से भेजी गई 77.52 लाख रुपए की रकम जो उन्होंने 1992 में जन्मदिन के तोहफे के तौर पर स्वीकार की थी, इसे उनकी कानूनी आय समझा जाना चाहिए।
शशिकला 1996 में इस मामले में जेल जा चुकी हैं। इसके बाद विशेष अदालत द्वारा उन्हें चार साल की कैद और दस करोड रूपए के जुर्माने की सजा सुनाये जाने के बाद भी वह जेल गयी थीं। इस मामले में जयललिता को भी चार साल की कैद और एक सौ करोड रूपए के जुर्माने की सजा सुनायी गयी थी। शीर्ष अदालत ने जयललिता के खिलाफ कार्यवाही खत्म कर दी क्योंकि उनका पिछले साल पांच दिसंबर को निधन हो गया था। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में आपराधिक साजिश उनके चेन्नई में पोएस गार्डन स्थित निवास में रची गयी थी।