अंबानी परिवार आज भारत का सबसे अमीर परिवार है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी आज भारत के सबसे आदमी हैं, जबकि उनके छोटे भाई अनिल अंबानी भी काफी अमीर हैं। अंबानी परिवार का बिजनेस सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों तक फैला हुआ है। हालांकि आज ये परिवार भले ही कितना भी अमीर हो, लेकिन एक समय था जब रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी यमन में चाँदी के सिक्के गलाकर बेचते थे।

धीरूभाई अंबानी नौकरी करने के लिए मध्यपूर्व एशियाई देश यमन गए थे। वहां वे एक पेट्रोल पंप पर नौकरी करते थे। उन दिनों यमन मे चांदी के सिक्कों का प्रचलन था। धीरूभाई को एहसास हुआ कि इन सिक्कों की चांदी का मूल्य सिक्कों के मूल्य से ज्यादा है और उन्होंने लंदन की एक कंपनी को इन सिक्कों को गलाकर आपूर्ति करनी शुरू कर दी। हालांकि यमन की सरकार को जब तक इस बात का पता चलता वे मोटा मुनाफा कमा चुके थे।

अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर धीरूभाई कुछ ही सालों में वहां एक बड़े पद पर पहुंच गए, लेकिन बाद में वह सबकुछ छोड़कर वापस भारत आ गए। भारत लौटने के बाद धीरूभाई अंबानी ने अपने चचेरे भाई चंपकलाल दमानी के साथ मिलकर पॉलिएस्टर धागे का बिजनेस शुरू किया और साथ ही साथ मसालों का आयात-निर्यात भी करना शुरू कर दिया।

हालांकि बाद में वो दोनों अलग हो गए, जिसके बाद धीरूभाई ने साल 1966 में गुजरात के अहमदाबाद में एक कपड़ा मिल की शुरुआत की, जिसका नाम ‘रिलायंस टैक्सटाइल्स’ रखा। ये उनकी जिंदगी का सबसे निर्णायक मोड़ था, इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते चले गए।

उनके ब्रांड का नाम विमल था। इसकी ब्रांडिंग इस तरह की गई कि जल्दी ही यह घर—घर में पहचाना जाने लगा और विमल का कपड़ा बड़ा भारतीय नाम बन गया। विमल दरअसल उनके बड़े भाई रमणीक लाल के बेटे का नाम था। कहते हैं कि धीरूभाई अंबानी जब दुनिया को अलविदा कह कर गए, तब उनकी संपत्ति 62 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक थी।

1996, 1998 और साल 2000 में उन्हें एशियावीक पत्रिका द्वारा ‘पॉवर 50 – मोस्ट पावरफुल पीपल इन एशिया’ की सूची में शामिल किया गया था। इसके अलावा साल 1999 में उन्हें बिजनेस इंडिया की तरफ से ‘बिजनेस मैन ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड भी मिला था।