तमिलनाडु स्टेट परीक्षा में बिहार मूल की छात्रा डी जिया कुमारी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इस बात की जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दी। उन्होंने कहा कि देश में भाषा के आधार पर विभाजन की कोशिश करने वालों के लिए बिहार मूल की छात्रा उदाहरण है। जिसने तमिलनाडु बोर्ड में अच्छा प्रदर्शन किया है।

सोमवार को भारतीय समर कैंप के उद्घाटन समारोह के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस साल गर्मियों में ये आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को भारतीय भाषाओं की जानकारी देना है। ये कार्यक्रम सभी सरकारी स्कूलों में आयोजित कराई जाएगी। इस दौरान उन्होंने भारतीय भाषाओं में प्राइमर और विशेष मॉड्यूल जैसी शिक्षण सामग्री भी लॉन्च की।

नौकरी के लिए पिता बिहार से चले आए थे चेन्नई

इसी कार्यक्रम के दौरान प्रधान ने बिहार मूल की लड़की की बात करते हुए कहा कि तमिलनाडु राज्य बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में डी जिया कुमारी तमिल भाषा की परीक्षा में 100 में से 93 अंक प्राप्त किए हैं। प्रधान ने आगे कहा , “हमने हाल ही में अखबार में यह देखा है। वह बिहार में पैदा हुई थी और उसके पिता 17 साल पहले आजीविका कमाने के लिए चेन्नई चले गए थे । उनकी तीन बेटियों ने अब स्कूल में तमिल सीख ली है। जिया कुमारी ने तमिल में 100 में से 93 अंक और कुल मिलाकर 500 में से 467 अंक हासिल किए हैं।”

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री का यह बयान केंद्र और तमिलनाडु के बीच टकराव के बाद आया है, क्योंकि राज्य ने तीन-भाषा नीति सहित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कुछ पहलुओं को लागू करने से इनकार कर दिया है। राज्य, जो दो-भाषा नीति का पालन करता है और स्कूलों में अंग्रेजी और तमिल पढ़ाता है, ने तीन-भाषा नीति को हिंदी थोपने का प्रयास माना है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषा वाले नियम का खुला विरोध किया था। उनका कहना था कि दक्षिण के लोगों पर हिंदी जानबूझकर थोपा जा रहा है।