उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को हुए भीषण बादल फटने के बाद हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। खीरगंगा नदी में अचानक आए उफान से इलाके में भारी तबाही मची है। दर्जनों मकान, होटल और होम स्टे बह गए हैं। अब तक पांच शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 100 से अधिक लोग अब भी लापता हैं। मलबे और तेज बारिश की वजह से रेस्क्यू में भारी दिक्कतें आ रही हैं। सेना, NDRF और SDRF की टीमें मौके पर डटी हैं।
घटना के समय धराली के एक होटल कारोबारी जय भगवान गांव के पास मंदिर में एक मेले में शामिल थे, जिससे उनकी जान बच गई। उन्होंने बताया कि देर रात अचानक तेज आवाज के साथ पानी और मलबा गांव में घुस आया और कुछ ही मिनटों में उनका चार मंजिला होटल बह गया। “40 कमरों वाला मेरा होटल ऐसे बह गया जैसे कोई पत्ता हो,” उन्होंने कहा। इस तबाही के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि कैसे पहाड़ से आई तेज धारा ने पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार सुबह खुद धराली पहुंचे और राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर प्रभावित व्यक्ति को आवश्यक सहायता पहुंचाएगी और पुनर्वास के प्रयास तेज किए गए हैं। पीएम मोदी ने भी सीएम से बात कर हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। क्षेत्र की सड़कों और पुलों के टूटने से गांव का संपर्क बाकी हिस्सों से कट गया है, लेकिन 225 से ज्यादा सेना के जवान राहत और बचाव में जुटे हुए हैं।
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने कहा, “आपदा में लापता लोगों की संख्या 50-60 होगी। धराली में आपदा से कम से कम 300-400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ होगा।”
चेहरे पर उदासी लिए कई महिलाएं मुखबा गांव के किनारे एक रेलिंग पर बैठी हुई हैं जहां से सड़क से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर धराली में दो दिन पहले हुआ विनाश का दृश्य साफ दिखाई देता है। मंगलवार दोपहर बाद आयी त्रासदी को उन्होंने आंखों के सामने घटते देखा जब ढलानों से बहता हुआ मलबा नीचे की ओर आता चला गया जिसमें आधे से ज्यादा धराली गांव तबाह हो गया, ऊंची-ऊंची इमारतें जमींदोज हो गयीं और अपनी जान बचाने को भागते लोग उसमें समा गए। महिलाओं के गमगीन चेहरे यह बताने के लिए काफी हैं कि उस गांव में हुए जानमाल के विनाश से वे कितनी दुखी हैं। वे चारों तरफ फैले पड़े मलबे को ऐसे देखती हैं जैसे उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि आपदा आने से पहले तक एक खूबसूरत और जीवंत गांव का 70 से 90 प्रतिशत हिस्सा अब मलबे के नीचे दब चुका है। जब त्रासदी आयी तो लोग मदद के लिए चिल्लाए लेकिन कुछ ही सेकंड में सब कुछ तबाह हो गया और किसी को भी उनके लिए कुछ करने का मौका नहीं मिला ।
धराली गांव में जीवित बचे लोगों की तलाश के लिए जारी अभियान में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के 69 बचावकर्मियों का एक दल शामिल हुआ। इसके अलावा दो शव-खोजी कुत्ते और पशु चिकित्सकों की एक टीम भी बचाव कार्य में सहयोग के लिए पहुंची है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा- इस आपदा से बहुत नुकसान हुआ है। पूरा इलाका तबाह हो गया है। यहां बादल फटा, भारी बारिश हुई। भूस्खलन से सड़क पूरी तरह प्रभावित हुई है। उसी दिन 190 लोगों को तुरंत बचाया गया, अब तक 274 लोगों को बचाया जा चुका है। वहां खाद्य सामग्री भेजी जा रही है, सेना के जवान बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
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भीषण बाढ़ से तबाह हुए धराली गांव में उन्नत और आधुनिक उपकरण पहुंचाने के प्रयास बृहस्पतिवार को तेज कर दिए गए ताकि मलबे में दबे लोगों की तलाश और सड़कों के टूटने व अवरुद्ध होने के कारण जिले में विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकाले जाने का काम रफ्तार पकड़ सके। राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के महानिरीक्षक अरूण मोहन जोशी ने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता आज उन्नत उपकरणों को हवाई मार्ग के जरिए मौके पर पहुंचाना है। उन्नत उपकरणों के साथ आ रही हमारी टीम बुधवार को सड़कों के अवरूद्ध होने के कारण आगे नहीं बढ़ सकीं।’’
उत्तराखंड सरकार ने बताया कि गंगोत्री और अन्य इलाकों से 274 लोगों को हर्षिल लाया गया है और सभी सुरक्षित हैं। इनमें गुजरात से 131, महाराष्ट्र से 123, मध्य प्रदेश से 21, उत्तर प्रदेश से 12, राजस्थान से 6, दिल्ली से 7, असम से 5, कर्नाटक से 5, तेलंगाना से 3 और पंजाब से 1 व्यक्ति शामिल है। सभी पूरी तरह सुरक्षित हैं और उन्हें देहरादून लाया जा रहा है।
उत्तरकाशी के हर्षिल से बचाए गए 35 लोगों को भारतीय वायुसेना के चिनूक विमान से देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर उतारा गया। बचाव कार्य में सेना और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के जवान लगातार जुटे हुए हैं।
एनडीआरएफ कमांडर गंभीर सिंह चौहान ने बताया, “एनडीआरएफ के लगभग 50 जवान धराली पहुंच चुके हैं… अधिकारी, कुत्ते और सैटेलाइट फोन वहां पहुंच चुके हैं। अब हम बातचीत कर पा रहे हैं। आज मौसम साफ है। हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं और हम वहां फंसे लोगों को बचा पा रहे हैं। हमें उम्मीद है कि आज हम काफी लोगों को बचा पाएंगे। सुबह से अब तक लगभग 50 लोगों को बचाया जा चुका है। अगर मौसम साफ रहा, तो हम दिन के अंत तक 150 लोगों को बचा पाएंगे…”
उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ( State Emergency Operations Centre) से बचाव कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार ने एएनआई को बताया कि हर्षिल के धराली में सुबह से ही बचाव अभियान जारी है। सुबह 9:30 बजे तक, कुल 44 लोगों को आईटीबीपी ने हेलीकॉप्टर से मटली पहुंचाया है, जहां से उन्हें सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है।
उत्तरकाशी के पास बादल फटने और भूस्खलन की घटना के बाद फंसे लोगों को सुरक्षित निकालकर मातली हेलीपैड पर लाया गया है। सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, उत्तराखंड पुलिस और स्थानीय प्रशासन धराली गांव में बड़े पैमाने पर राहत और बचाव अभियान चला रहे हैं।
महाराष्ट्र के जलगांव से रूपेश मेहरा ने बताया, “…वहां सड़कें बंद हो गई थीं। हमें हेलीकॉप्टरों से बचाया गया। वहां तैनात सभी एजेंसियों से हमें बहुत मदद मिली, और हमें वहां से निकाल लिया गया…”
उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना के बाद महाराष्ट्र के जलगांव की आरोही मेहरा कहती हैं, “जब ये सब हुआ तो मैं बहुत डर गई थी। गांव वालों ने हमारी बहुत मदद की। भारतीय सेना के जवानों को देखकर हमें बहुत ताकत मिली।”